14 फरवरी को Pulwama Attack से स्तब्ध हो चुका था देश, 12 दिनों के अंदर ऐसे तोड़ी थी चुप्पी..

आज पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) की बरसी है। समय भले ही हर जख्म को भर देता है, पर हमें शहीदों की कुर्बानी को कभी नहीं भूलाना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए, की यदि हम घरों में सुरक्षित बैठे तो सिर्फ उन भारत माता के सपूतों की वजह से। जो बॉर्डर पर आने वाली हर विपत्ति को खुद तक ही रोक लेते हैं। आज 14 फरवरी पर हम उन 40 शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, और 14 फरवरी के उस काले दिन पर एक नज़र डालते हैं।

क्या हुआ था उस दिन 

Pulwama Attack

14 फरवरी 2019 का दिन जब पूरी दुनिया प्यार का जश्न वैलेंटाइन डे पर मनाती है। उसी दिन भारत के 40 जबांज वीरों के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। CRPF का काफिला श्रीनगर-जम्मू हाईवे से गुजर रहा था। जब ट्रक पुलवामा के पास पहुंचा था, तभी एक सुसाइड अटैकर 200 किलो RDX मारुति ईको कार में लेकर घुस गया। कार ने ट्रक में जोरदार टक्कर मारी और तेज विस्फोट हो गया। 200 किलो RDX के विस्फोट से सुरक्षाबलों को लेकर जा रही 2 बसों के परखच्चे उड़ गए। इस धमाके की गूंज 10 किमी दूर तक सुनाई दी और चंद मिनटों में भारत के 44 वीर सिपाही शहीद हो गए। इस हमले के बारे में कहा जाता है की कश्मीर के 30 सालों के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला (Pulwama Attack) था।

शहीद के परिवारों की अधूरी कहानियां 

Pulwama Attack

हमले में शहीद हुए सैनिकों में कई ऐसे थे तो कुछ दिनों पहले ही छुट्टी से लौटे थे। शहीदों के परिवार को घटना की जानकारी जब मिली तो उनका यकिन कर पाना मुश्किल हुआ , क्योंकि कुछ दिनों पहले उनके आंखो के सामने वे सुरक्षित खड़े थे। पुलवामा हमले ने कई रिश्तों को मार दिया। कहीं किसी मासूम ने अपने पिता को खो दिया, तो किसी का सहारा बना बेटा चला गया, कितनी ही मांगों का सिंदूर उजाड़ गया, तो किसी का दोस्त तो किसी का भाई हमेशा के लिए चला गया।

हादसे (Pulwama Attack) से पहले शहीद रमेश यादव ने अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी, उन्होंने ये भी बताया की वे बस में बैठने जा रहे हैं और शाम को दोबारा बेटे से बात करने के लिए कॉल करेंगे। 14 फरवरी को पत्नी इंतजार करती रही, फोन आया पर उनके पत्नी का नहीं बल्कि उनके शहीद होने की खबर का।

Pulwama Attack

वहीं लांस नायक हेमराज सिंह की पत्नी ने सरकार से मांग की की सरकार इस घटना को लेकर कोई निर्णय ले। आतंकवादियों के खिलाफ कोई एक्शन ले। ताकि फिर कोई सिपाही यूं शहीद ना हो, किसी सुहागन की मांग यूं सूनी ना हो। ऐसी ना जाने कितनी ही कहानियां है तो शहीदों के परिवार से जुड़ी है।

12 दिनों के अंदर शहीद भाईयों का लिया बदला 

देश से अपने निर्दोश सिपाहियों की हत्या देखी नहीं गई। देश के हर कोने में इस घटना (Pulwama Attack) का कड़ा विरोध हुआ। सरकार ने भी ठान लिया अब और नहीं। फिर क्या था? पुलवामा हमले के 12 दिनों के अंदर भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। इस हमले ने जैश का कैडर तबाह हो गया और 300 के करीब आतंकी मारे गए। इसके बाद भी हमारे सुरक्षाबल नहीं थमे और कश्मीर में छुपे साजिश में शामिल आतंकियों को ढूंढ-ढूंढ कर मार गिराया।