वायु प्रदूषण से निज़ात के लिए IIT ने दिल्ली सरकार को सौंपा “कृत्रिम बारिश” का प्लान

वायु प्रदूषण से दिल्ली (Delhi Air Pollution) के हाल दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा है। एयर पॉल्यूशन की चलते दिल्ली में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। अस्पतालों में सांस की समस्या के मरीज सबसे ज्यादा भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार इस गंभीर समस्या से बाहर निकलने के कई रास्ते तलाश रही है। जिसमें सबसे पहला प्रयास रहेगा की दिवाली पर पटाखों ना फोड़े जाएं। इसके साथ ही देश में पहली बार किसी राज्य में कृत्रिम बारिश करवाने की तैयारी की जा रही है।

आईआईटी कानपुर ने दिल्ली सरकार को सौंपा प्लान 

दिल्ली वासियों के लिए अभी का समय मुश्किल भरा चल रहा है। वायु प्रदूषण से परेशान पूरी दिल्ली (Delhi Air Pollution) में सांस लेने दूश्वार होता जा रहा है। ऐसे में दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश करवाने का निर्णय ले रही है। 20 से 21 नवंबर के आसपास यह कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है। ये प्लान आईआईटी कानपुर ने दिल्ली सरकार को सौंपा है।

केंद्र सरकार का सहयोग मांगा दिल्ली सरकार ने

आईआईटी कानपुर की दिल्ली सरकार के मंत्रियों के साथ हुई अहम बैठक में यह फैसला लिया है। शुक्रवार को दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में जानकारी देगी। सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश कराने में केंद्र सरकार का सहयोग दिलाने की गुजारिश करेगी। दिल्ली (Delhi Air Pollution) के हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे में त्यौहार के बाद हालात और ना बिगड़ जाएं इसलिए कृत्रिम बारिश की तैयारी की जा रही है।

प्रदूषण के चलते स्कूलों में छुट्टी 

Delhi Air Pollution

प्रदूषण (Delhi Air Pollution) के चलते दिल्ली में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। ये छुट्टियां अब 9 से 18 नवंबर तक और बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड कैब्स को भी अब दिल्ली में एंट्री नहीं मिलेगी। इनपर फिलहाल बैन लगा दिया गया है। सरकार हर तरह से प्रदूषण पर रोकथाम करने के प्रयास में जुट गई है। राज्य में किसी प्रकार के जश्न पर पटाखें जलाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। दिवाली त्यौहार के लिए जल्द ही नई गाइडलाइन में जारी की जाएंगी। राज्य में पटाखों का बिजनेस इस बार नज़र नहीं आ रहा है।

क्या होती है कृत्रिम बारिश 

ये एक बारिश करवाने की विशेष प्रक्रिया है, जिसे कृत्रिम बारिश कहा जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे “क्लाउड सीडिंग” भी कहते हैं। इसकी प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट से आसमान में सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव किया जाता है। जैसे ही सिल्वर आयोडाइड हवा और आसमान में मौजूद बादलों के संपर्क में आता है, वैसे ही तेज गति से बादल बनने लगते हैं। इन्हीं बादलों के चलते बारिश होती है।