आज विश्व खाद्य दिवस यानी की “World Food Day” है। आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना हुई थी। जिसे हम हर साल विश्व खाद्य दिवस के रुप में मनाते हैं। जिसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को भूख और भुखमरी को लेकर जागरुक करना है। हर साल खाने की कमी से लाखों लोगों की मौत हो जाती है। भारत की बात की जाएं तो ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 111 वें स्थान पर है। जो चिंता का विषय है..
दुनिया में आज भी लाखों लोगों की मौत सिर्फ भूख से हो जाती है। जहां एक बड़ा वर्ग रोजाना संतुलित आहार की बात करता है, उसी बीच एक वर्ग ऐसा भी है जो खाने के लिए तरसता रहता है। भूख से जीवन समाप्त भी होता है। जहां कई घरों में लोगों की पसंद की चीजें बन रही होती हैं उसी समय हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो एक रोज के खाने के प्रबंध के लिए लड़ते रहते हैं।
भुखमरी में पड़ोसी देशों से आगे भारत
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में भारत 125 देशों में से 111 वें स्थान पर है। जिससे ये अर्थ है की भारत की स्थिती आज भी सही नहीं है। खाना जीवन की अहम जरुरत है, ऐसे में क्या वजह है की संपन्नता में आगे बढ़ते भारत देश में भूख से मरने वालों की संख्या अधिक है। इस इंडेक्स में पाकिस्तान (102वें), बांग्लादेश (81वें), नेपाल (69वें) और श्रीलंका (60वें) स्थान पर है। ये सोचने वाली बात है की पड़ोसी देशों ने भारत से बेहतर स्कोर किया है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल एड्स, टीबी और मलेरिया से ज्यादा लोग भूख से मरते हैं। भारत देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में हम आगे बढ़ते जा रहे हैं। पर आज भी देश के 3000 से अधिक बच्चें रोजाना भूखे सोते हैं। ये एक गंभीर विषय (World Food Day) है। जो हमारी तरक्की में रुकावट की वजह भी है। सरकार द्वारा चलाएं जा रहे कई अभियान भी उस वक्त पस्त पड़ जाते हैं जब उन पर भष्टाचार की छाया पड़ जाती है।अनाज के चंद दानों के लिए तरसते हाथ
आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाली मिड डे मील, आंगनबाड़ी में दिए जाने वाला पोषक भोजन हर जरुरतमंद तक नहीं पहुंच पा रहा है। जिसकी एक सबसे बड़ी वजह है भष्टाचार। सरकारी खातों में जो राशि इन फंड के लिए बतायी जाती है, उससे कम ही इन पर इस्तेमाल होती है। ये सिर्फ मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों की बात नहीं, अनाज को लेकर बड़े स्तर पर धांधली चलती है।
विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) पर इस पर विचार करना जरुरी है। भूख की समस्या पर सरकार के आने वाले दिनों में क्या कार्य होंगे ये तो पता नहीं। पर समाज जरुर अपने स्तर पर इस समस्या से लड़ सकता है। जब भी कोई भूख की समस्या आपके सामने व्यक्त करें तो उसे पेट भर खाना जरुर दें। एक वक्त ही सही पर उस जरुरतमंद को भोजन तो मिलेगा। समाज के कई ऐसे सजग व्यक्ति है तो समय-समय पर फ्री भोजन सेवा प्रदान कराते रहते हैं। यदि ये काम हर संपन्न व्यक्ति करने की ठान लें तो इस भुखमरी की समस्या से लड़ा जा सकता है। इस बात को समझना जरुरी है की हमारे देश में अनाज की कमी नहीं है, बस जरुरमंदों तक पहुंचाने की जरुरत है।