इजराइल और फिलिस्तीन (Israel Palestine Conflict) एक बार फिर आमने-सामने हैं। 7 अक्टूबर की सुबह हमास के आतकिंयों ने इजराइल पर बड़ा हमला बोला। हमास ने शनिवार सुबह इजराइल पर अचानक ही गाजा से कई रॉकेट लॉन्च किए। हमास ने इजरायल (Israel Palestine Conflict) पर महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे। इसके अलावा हमास(Hamaas) ने दक्षिणी इजराइल में घुसपैठ भी की। हमास ने अपने इस ऑपरेशन को ‘अल-अक्सा फ्लड’ का नाम दिया है। वहीं दूसरी ओर हमास के हमले के बाद इजरायल ने ‘युद्ध'(War) की घोषणा कर दी है। इजराइल ने अपने दुश्मन के खिलाफ ‘ऑपरेशन आयरन स्वार्ड्स’ लॉन्च किया है। तो चलिए जानते हैं इन दोनों देशों के विवाद (Israel Palestine Conflict) और इसके इतिहास को..
जानिए आखिर क्या है इजराइल-फिलिस्तीन (Israel Palestine Conflict)विवाद?
इजराइल-फिलस्तीन विवाद 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद फिलिस्तीन के नाम से पहचाने जाने वाले हिस्से को ब्रिटेन ने अपने नियंत्रण में ले लिया। उस वक्त इजराइल नाम से कोई देश नहीं था। इजरायल से लेकर वेस्ट बैंक तक के इलाके को फिलिस्तीनी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था। वहीं यहूदियों का मानना है कि ये उनके पूर्वजों का घर है।
फिलिस्तीनी लोगों और यहूदियों के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को कहा कि वह यहूदी लोगों के लिए फिलस्तीन को एक ‘राष्ट्रीय घर’ के तौर पर स्थापित करें। लेकिन फिलिस्तीनी अरब यहां पर फिलिस्तीन नाम से एक नया देश बनाना चाहते थे। उन्होंने ब्रिटेन के नए देश बनाने के कदम का विरोध किया। इस तरह फिलिस्तीन-इजरायल विवाद की शुरुआत होने लगी।
ब्रिटेन ने की नया देश बनाने की शुरुआत
1920 से लेकर 1940 के बीच यूरोप में यहूदियों के साथ जुल्म किए गए। यहूदी वहां से भागकर एक देश की तलाश में फिलिस्तीन पहुंचने लगे। यहूदियों का मानना था कि ये उनकी मातृभूमि और वह यहां पर अपना देश बनाएंगे। इस दौरान यहूदियों और फिलिस्तीनी लोगों के बीच हिंसा भी हुई। 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि “यहूदियों और अरबों के लिए अलग-अलग देश बनाने के लिए मतदान किया जाए”। संयुक्त राष्ट्र ने ये भी कहा कि यरुशलम यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों के लिए पवित्र शहर है इसलिए यरुशलम को एक अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया जाएगा।
हालांकि, यहूदियों ने संयुक्त राष्ट्र की इस बात को स्वीकार कर लिया, मगर अरब लोगों ने इसका विरोध किया। इस वजह से UN का प्रस्ताव यहां कभी लागू ही नहीं हुआ। जब ब्रिटेन से इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वह यहां से निकल गया। फिर 1948 में यहूदी नेताओं ने इज़राइल के निर्माण का ऐलान कर दिया। फिलिस्तीनियों ने इसका विरोध किया और इस तरह दोनों पक्षों के बीच पहले युद्ध की शुरुआत हुई। जब तक संघर्ष विराम लागू हुआ, तब तक इज़राइल के पास एक बड़ा हिस्सा आ गया था।
कैसा है इज़रायल-फिलिस्तीन(Israel Palestine Conflict) का भूगोल?
इजराइल एक यहूदी देश है। इसके पूर्वी हिस्से में बेस्ट बैंक मौजूद हैं, जहां ‘फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ फिलिस्तीनी लोगों के लिए सरकार चलाती है। इसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली हुई है। इज़रायल के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर एक पट्टी है, जो दो तरफ से इज़राइल से घिरी है। इसे गाजा पट्टी के तौर पर जाना जाता है। बेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप को आमतौर पर फिलिस्तीन के तौर पर जाना जाता है। ध्यान देने वाली ये है कि इज़राइल चारों और से अरब देशों से घिरा हुआ है।
‘फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ को ही फिलिस्तीन के तौर पर देखा जाता है। वहीं दूसरी और गाजा स्ट्रिप पर आतंकी संगठन हमास का कब्जा है। जिस पर फिलिस्तीन सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। आपको बता दें कि बेस्ट बैंक में ही इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म का पवित्र शहर यरुशलम मौजूद है।
फिलिस्तीन-इज़राइल का युद्ध
फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच 1948 में युद्ध छिड़ गया और इस युद्ध में फिलिस्तीनी लोगों के लिए जॉर्डन और मिस्र जैसे अरब मुल्कों ने लड़ाई लड़ी। लेकिन इस युद्ध में संयुक्त अरब देशों की हार हुई। अरबों की हार की वजह से फिलिस्तीन एक छोटे हिस्से में सिमट कर रह गया। जॉर्डन के कब्जे में जो जमीन आई, उसे बेस्ट बैंक का नाम मिला। जबकि मिस्र के कब्जे वाले इलाके को गाजा स्ट्रिप कहा गया। वहीं, यरुशलम शहर को पश्चिम में इज़राइली सुरक्षाबलों और पूर्व में जॉर्डन के सुरक्षाबलों के बीच बांट दिया गया। ये सब बिना किसी शांति समझौते के किया गया।
यरुशलम को लेकर क्यों हैं विवाद?
1967 में जब इजराइल और फिलिस्तीन के बीच दूसरा युद्ध हुआ, तो इस बार इजराइल ने पूर्वी यरुशलम के साथ-साथ बेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप पर भी कब्जा जमा लिया। गाजा से तो इजराइल पीछे हट गया, मगर उसने बेस्ट बैंक पर कंट्रोल जारी रखा है। इज़राइल पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के तौर पर होने का दावा करता है, जबकि फिलिस्तीनी लोग इसे अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं।
यरुशलम शहर यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म तीनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसी यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद मौजूद है, जिसे इस्लाम की सबसे पवित्र मस्जिदों में से एक माना जाता है। यहां पर टेंपल माउंट भी है, जहां यहूदी धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं। वहीं, यरुशलम में ईसाईयों के क्वॉटर में चर्च ऑफ द होली स्पेलकर मौजूद है, जो कि उनकी प्रमुख जगह है। ये जगह ईस मसीह की कहानी, मृत्यु, सलीब पर चढ़ाने और पुनर्जीवन की कहानी का केंद्र है। यही वजह है कि तीनों धर्मों के लोगों के बीच इस शहर को लेकर टकराव होता रहा है।
क्या है ताज़ा विवाद?
अप्रैल 2021 के मध्य में इजराइल के येरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद के विवाद ने वहां यहूदी और अरब समुदाय के बीच हिंसक झड़पों ने एक युद्ध का रुप लेना शुरु कर दिया है। अल-अक्सा मस्जिद वही स्थान जिसे यहूदी ‘फ़र्स्ट टेम्पल’ कहकर पुकारते थे। इस फर्स्ट टेम्पल को कई बार तोड़ा गया है। आज यहां पर अल-अक्सा मस्जिद है। मस्जिद के पश्चिम में एक दीवार है जिसे फर्स्ट टेम्पल की दीवार माना जाता है और आज यहूदी यहीं पर अपनी प्रार्थना और पूजा करते हैं। यहूदी इसे ‘वेस्टर्न वॉल’ या ‘वेलिंग वॉल’ कहते हैं। इस पवित्र जगह के भीतर ही ‘द होली ऑफ़ द होलीज़’ है। यहूदियों का सबसे पवित्र स्थान, यहूदियों का विश्वास है कि यही वो जगह है, जहां से दुनिया बनी थी।
इसके विपरीत मुसलमानों का इस जगह को लेकर मानना है कि सन् 621 में इसी जगह से इस्लाम के आख़िरी पैगंबर मोहम्मद ने जन्नत तक का सफ़र किया था। इसे इस्लाम में ‘मेराज’ कहते हैं। इसी मस्ज़िद में पैगंबर मोहम्मद ने ख़ुद से पहले आए सभी पैगम्बरों के साथ नमाज़ अदा की थी। इसलिए इस मस्ज़िद से मुसलमानों की भी मान्यता जुड़ी हुई है। इस मस्जिद और आसपास के क्षेत्र को इजराइल कंट्रोल करता है और यही इजराइल और फिलीस्तीन के विवाद का मुख्य कारण है।
आज दोनों देशों के बीच इसी विवाद को लेकर भीषण युद्ध छिड़ा हुआ है। हमास के अचानक हमले के बाद, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध की घोषणा के साथ ही फिलिस्तिन के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। इजरायल ने अपने इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन आयरन स्वार्ड्स’ नाम दिया है।