सोमवार देर शाम कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई गई। जिसमें एक बड़े फैसले पर मंजूरी मिल गई है, जिसका लंबे से इंतजार था। जी हां हम बात कर रहे हैं “महिला आरक्षण बिल” (Women Reservation Bill) की। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब जल्द ही इस बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा।
केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री ने की पुष्टि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 18 सितंबर की शाम को अहम बैठक आयोजित की गई। संसद के एनेक्सी भवन में करीब डेढ़ घंटे बैठक चली। केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने ट्वीट करके इसकी पुष्टि की। अपने ट्वीट में मंत्री प्रहलाद पटेल ने लिखा कि महिला आरक्षण (Women Reservation Bill) की मांग पूरा करने का नैतिक साहस मोदी सरकार में ही था, जो कैबिनेट की मंजूरी से साबित हो गया है। इसके साथ ही कार्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का अभिनंदन भी किया।
27 सालों से लंबित यह बिल
यह बिल (Women Reservation Bill) करीब 27 सालों से लंबित चल रहा था। आंकड़ो के अनुसार लोकसभा में महिला सांसदों की सख्या 15 फीसदी से कम है। जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। इस मुद्दे पर आखिरी बार कदम 2010 में उठा था। लोकसभा से पारित नहीं हो सकने की वजह से उस समय विधेयक रद्द हो गया था। उस समय इस पर भारी विरोध किया गया था।
महिलाओं को मिली नई राह
इस बिल पर मंजूरी से महिलाओं में खुशी का माहौल है। मंजूर हुए विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। लोकसभा में पेश होते ही इस प्रस्ताव से जुड़ी अहम जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी। मोदी सरकार का ये फैसला एक बड़ा बदलाव बनकर साबित होने वाला है। महिलाओं के लिए एक नई राह खुलने वाली है।