भाई-बहनों के स्नेह का पर्व “रक्षाबंधन” (Raksha Bandhan) कई खुशियां लेकर आता है। किसी के लिए बीते सुनहरे पलों की यादें वापस लौटती है तो कोई नई यादें बनाता है। जो कभी साथ बड़े हुए और अब अपनी जिम्मेदारियों के चलते दूर रह रहे हैं, वे फिर साथ बैठते हैं। एक दूसरे का हाल जानते हैं और जीवन में चल रहे उतार-चढ़ाव की चर्चा करते हैं। भाई-बहन का रिश्ता है ही ऐसा जिसमें अटूट पावन प्रेम छुपा होता है। ये वो रिश्ते हैं, जिससे सब कुछ दिल खोलकर बोला जा सकता है।
इस “रक्षाबंधन” (Raksha Bandhan) शुभ मुहूर्त का विशेष रखें ध्यान
इस वर्ष रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्यौहार 30 अगस्त को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अगस्त को भद्रा सुबह 10 बजकर 05 मिनट से शुरु होकर रात 08 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। भद्रा के दौरान राखी बांधना अशुभ होता है। ऐसे में भद्रा खत्म होने के बाद ही रक्षाबंधन करना चाहिए। इसके साथ ही राखी बांधने से पहले दिशा का भी सही ध्यान रखें। बहने, भाईयों को राखी बांधते समय उनके हाथों में नारियल रखें। ये भाई की सुख समृद्धि के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
हर रक्षक को बांधा जा सकता है ये “रक्षा” (Raksha Bandhan) सूत्र
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन अपने नाम से ही पता चलता है की रक्षा का बंधन है। जिससे अर्थ है जो आपकी रक्षा करता है उसे रक्षा सूत्र बांधा जा सकता है। पर समय के साथ धीरे-धीरे ये भ्रांति हमारे समाज में बन गई की सिर्फ बहनें ही अपनी भाई को रक्षासूत्र बांध सकती हैं। पौराणिक कथाओं में भी रक्षाबंधन का जिक्र है।
भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार क्या है रक्षाबंधन
भगवान् श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर से कहा था कि, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार अपनी सेना के साथ मनाओ, इससे पांडवों और उनकी सेना की रक्षा होगी। रक्षासूत्र में अद्भुत शक्ति मानी जाती है। सूत्र बांधने वाला व्यक्ति धागे के साथ अपनी आशाएं, विश्वास को किसी की कलाई में बांधता है। यहीं वजह है की इसे एक राजा अपनी सेना के साथ भी मना सकता है। यहीं नहीं ब्राह्मण, गुरु, वृक्षों और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों जैसे पुत्री द्वारा पिता को राखी बांधी जाती है।