Friday, September 20, 2024
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हिन्दू धर्म में भी जिक्र है इस दोस्त का, जिसके पास है जिंदगी भर साथ निभाने की गारंटी

हर साल अगस्त माह के पहले संडे को हम मित्रता दिवस (Friendship Day)  के रुप में मनाते हैं। अपने मित्रों के साथ इस खास दिन (Friendship Day) को सेलिब्रेट करते है। बिज़ी लाइफ में अपने खास दोस्तों के लिए समय निकलते हैं और अपनी खुशी बांटते हैं। ऐसा कहा भी जाता है की जन्म के पहले हमारे सारे रिश्ते तय हो जाते हैं, बस मित्रता ऐसा रिश्ता होता है जो हम खुद बनाने हैं। मित्र (Friendship Day) का साथ जिंदगी भर का हो तो जिंदगी बहुत आसान रहती है, पर सोचिए कौन सा ऐसा दोस्त है जो जिंदगी भर साथ दे सकता है?

24×7 साथ देने की जिंदगी भर की गारंटी 

आसान नहीं है, किसी भी मित्र (Friendship Day) का जिंदगी भर साथ रहना, पर एक व्यक्ति है जिसकी जिंदगी भर की गारंटी है। वो मित्र तो नहीं पर उससे भी बढ़कर है। वो साथी 24×7 आपके साथ रहता है। जिसके सहारे आपकी पूरी जिंदगी गुज़र रही है। जो है तो आपके सामने पर आप उसे देख नहीं पा रहे हैं। जिसे हम सभी पति-पत्नी के नाम से जानते हैं।

पाणिग्रहण संस्कार का वचन 

Friendship Day

‘मैत्री सप्तपदीन मुच्यते’ ये वचन विवाह के दौरान पति-पत्नी लेने है। जिसका अर्थ होता है “सिर्फ 7 कदम चलने मात्र से ही दो अनजान व्यक्तियों में भी मैत्री (Friendship Day) भाव उत्पन्न हो जाता है। अतः जीवनभर का साथ निभाने के लिए प्रारंभिक 7 पदों की गरिमा एवं प्रधानता को स्वीकार किया जाएं। इसके साथ वर, कन्या से कहता है कि ‘हम दोनों 7 पद चलने के पश्चात परस्पर सखा बन गए हैं।

जीवन रुपी वाहन के पहिए हैं ये 

old life

घर-द्वार सब पीछे छोड़कर जिंदगी की लड़ाई में जीवनसाथी ही है जो हमेशा साथ निभाता है। जीवन रुपी वाहन के पहिएं हैं पति-पत्नी। बच्चों को अच्छी जिंदगी देने के बाद इनके पास सिर्फ एक दूसरे का साथ बचता है। कभी एक बीमार होता तो दूसरा ख्याल रखता है। परिवार में भले ही कितने लोग हो पर एक दूसरे की जरुरतों के बारे में सिर्फ इन्हें ही पता रहता है। यहां तक की एक दूसरे की जरुरी दवाओं की जानकारी भी पति- पत्नी को ही होती है। अपने कर्तव्यों से मुक्त होकर जब इन्हें परिवार की तलाश होती है तब केवल ये दोनों ही साथ बचते हैं। पत्नी के आसपास सब हो पर वो अपनी जरुरतों की पूर्ति के लिए पति से ही कहना पसंद करती है। इसी तरह पति भी मां भी सामने हो पर पत्नी से ही अपनी पसंद की खाने की चीज बनाने के लिए बोलता है।

एक दूसरी की मदद के लिए हमेशा रहते हैं तैयार

coupal

इन दिनों तो हम एकल परिवार के दौर से गुज़र रहे हैं, क्योंकि समय की यही मांग है। आगे बढ़ना है तो सीमित दायरें में काम नहीं किया जा सकता। इस एकल परिवार में पति-पत्नी के साथ हर काम करता है। अब वो दौर नहीं रहा जिसमें घर की रसोई में केवल महिलाएं ही दिखाई दें। आज दोनों खाना बनाने में बेस्ट हैं। वहीं पत्नियां भी घर की जिम्मेदारी में अपनी भागीदारी निभाती हैं।

हिंदू धर्म में है पति-पत्नी के बीच मित्रता का जिक्र 

happy Days

वैसे तो विवाह के समय जो वचन लिए जाते हैं इसमें भी इसका वर्णन है, पर शादी के बाद हम भूल जाते हैं। पति-पत्नी का रिश्ता मित्रता का रिश्ता होगा ये वचन हर विवाहित जोड़ा लेता है। पर सामाजिक दिखावे में रहते-रहते हम इन बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं। जरा सोचिए जो व्यक्ति हमारे उठने से बैठने तक में, सुख में दुख में, अच्छे में बुरे में साथ खड़ा रहता है वो मित्र क्यों नहीं? सच्चा मित्र तो वही है, जिसे पता है की आपको मीठा पसंद है या नमकीन? चटखीले रंग पसंद हैं या साधारण, पार्टी पसंद या अकेले रहना, आपकी नींद का समय, आपकी फेवरेट साड़ी, आपके गुस्से का इलाज और सब कुछ। बस ये सालों से साथ रह रहे दोस्त को ही तो पता रहता है।

मूर्ति दंपती बना मित्रता की मिसाल 

narayan murti

Infosys के मालिक एन आर नारायण मूर्ति हैं ने एक इंटरव्यू में कहा था की उनकी कंपनी की शुरुआत उनकी पत्नी के बचाएं हुए पैसों से हुई थी। जरा सोचिए मुश्किल समय में नारायन मूर्ति के दोस्त सुधा मूर्ति ने मदद ना की होती तो क्या इंफोसिस का आज कोई अस्तित्व होता? हां काबिलियत नारायण मूर्ति की रही, पर उनका सपोर्ट बनकर उनका साथ दिया उनकी पत्नी ने। जो एक सच्चे मित्र की तरह उनके साथ खड़ी रहीं। यहीं वजह है की आज इतने बड़े पद के मालिक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति एक दूसरे को मित्र मानते हैं।

हर सक्सेसफुल व्यक्ति के पीछे लाइफ पार्टनर का साथ 

हर सक्सेसफुल मर्द के पीछे एक औरत होती है, पर आज का सच कुछ और भी है। आज हर सक्सेसफुल महिला के पीछे एक मर्द का साथ होता है। देश के बड़े-बड़े पद पर कार्यरत महिला जिन्होंने बड़ा मुकाम हासिल किया, उनके पीछे उनके पति का साथ रहा है। हर इंसान को एक ऐसे साथी की जरुरत होती है, जो उसके साथ मुश्किलों में खड़ा रहे। कभी-कभी कोई मदद किए बिना, किसी का साथ रहना भी काफी होता है। कामयाबी केवल एक व्यक्ति की नहीं होती, उसके पीछे कई लोगों की मेहनत जुड़ी होती है। तो अपने इस मित्र को कभी ना भूलें, बुढ़ापे में ये लाठी है,अंधियारें में साथी है और उदासियों में ये एक कप सुकून भरी चाय है।

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