आज दुनिया में आये दिन नए परमाणु हथियारों (Nuclear Attack on Hiroshima) के परीक्षण देखने को मिलते हैं। कुछ देश इसे अपना अधिकार मानते हैं तो कुछ इसे अपने सुरक्षा की गारंटी। लेकिन आपको बता दें की, इन्हीं परमाणु हथियारों(Nuclear Attack on Hiroshima) की कीमत जापान आज तक चुका रहा है। जापान के हिरोशिमा ने इन परमाणु हथियारों (Nuclear Attack on Hiroshima) से होने वाली तबाही के जिस मंजर देखा उसे शब्दों में बयां कर पाना शायद संभव नहीं है। जी हां हम बात कर रहे हैं, 6 अगस्त 1945 के उस कभी न भूल पाये जाने वाले दिन की जब दुनिया ने इन परमाणु हथियारों की शक्ति के प्रदर्शन को देखा।
कैसा था हिरोशिमा (Nuclear Attack on Hiroshima) तबाही का मंजर
6 अगस्त 1945 को सुबह के करीब 8 बजे हिरोशिमा पर अमेरिका के परमाणु बम का जोरदार हमला हुआ। ये हमला इतना जबरदस्त था कि कुछ ही पल में 80 हजार से ज्यादा लोगों मारे जा चुके थे । परमाणु बम के धमाके से इतनी गर्मी उत्पन्न हुई कि लोग सीधे जल गए। कुछ ही मिनटों के भीतर जापान का ये शहर हिरोशिमा लगभग 80 फीसदी राख हो गया था। तबाही का ये मंजर यहीं नहीं थमा। परमाणु बम से विकिरण से हजारों लोगों को ऐसी बीमारियां हुई जिनका इलाज कर पाना भी मुश्किल था। हज़ारों लोगों को इन बीमारीओं के कारण दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ा।
हमले की पृष्ठभूमि और कारण
1940 में द्वितीय विश्वयुद्ध अपने चरम पर था। एक ओर जहां जर्मनी-इटली की संयुक्त और मित्र राष्ट्र की फौजें आमने सामने थी। ऐसे में जापान ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर युद्ध की घोषणा की। 8 दिसंबर, 1941 को, 350 जापानी हमलावर विमानों ने पर्ल हार्बर, हवाई में संयुक्त राज्य के प्रशांत बेड़े पर एक आश्चर्यजनक हमला किया। यह प्रशांत युद्ध की शुरुआत थी। इसका मुख्य कारण था जापान, जो संयुक्त राज्य अमेरिका से अपने अधिकांश तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का आयात कर रहा था। तभी अचानक संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, जिसके परिणाम स्वरूप जापान ने वर्ल्ड वॉर II में प्रवेश किया।
हिरोशिमा (Nuclear Attack on Hiroshima) पर ही क्यों गिराया एटम बम
गौरतलब है कि हिरोशिमा, उस समय जापान का सातवां सबसे बड़ा शहर था एवं दूसरी सेना और चुगोकू क्षेत्रीय सेना के मुख्यालय के रूप में कार्य करता था। इसकी आबादी लगभग 318,000 थी। जापान की सेना के मुख्यालय के होने कारण हिरोशिमा देश के सबसे महत्वपूर्ण सैन्य कमांड स्टेशनों में से एक बन गया था। यह सबसे बड़े सैन्य आपूर्ति डिपो में से एक और सैनिकों और आपूर्ति के लिए सबसे प्रमुख सैन्य शिपिंग बिंदु का स्थल भी था। इसलिए अमेरिका ने जापान की सप्लाई लाइन को ध्वस्त करने के मकसद से इस शहर को चुना।
ध्यान देने वाली बात ये है कि 6 अगस्त की सुबह प्रातः 8:15 बजे, एक बी-29 बमवर्षक एनोला गे ने हिरोशिमा शहर पर 20,000 टन से अधिक टीएनटी के बल के साथ “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम गिराया। यह घटना उस समय घटित हुई जब अधिकांश औद्योगिकश्रमिक अपने काम पर जा रहे थे , कई अन्य रास्ते में थे और बच्चे स्कूलों में थे।
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दुनिया हिरोशिमा डे पर याद करती है जापान का दर्द
दुनिया भर के लोग आज भी इस दर्दनाक परमाणु हमले को हिरोशिमा डे के रूप में याद करते हैं। इस विस्फोट में तत्काल 70,000 लोग मारे गए और इसके बाद 9 अगस्त को नागासाकी में 40,000 लोग मारे गए। दिसंबर 1945 तक, मरने वालों की संख्या बढ़कर 140,000 हो गई थी। मैनहट्टन प्रोजेक्ट के ऊर्जा विभाग के अनुसार, इसके बाद के वर्षों में हजारों लोगों की चोटों, विकिरण बीमारी और कैंसर से मृत्यु हुई। जिससे मरने वालों की संख्या 200,000 के करीब पहुंच गयी थी। बाद के शोधकर्ताओं के शोध से पता चलता है कि जापान के इन दोनों शहरों में दशकों तक विकिरण जनित बीमारियों के कारण लाखों लोगों की जान गयी। बच्चे जन्म से ही इन बिमारियों के शिकार बन कर पैदा हुए, ये सिलसिला अब भी जारी है।
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