ट्रेजडी क्वीन के नाम से प्रसिद्ध मीना कुमारी (Meena Kumari) की अधिकांश फिल्म समाज की परेशान और उदास महिलाओं की कहानियों से भरपूर रही है। ये उदासी सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं थी। बल्कि उनकी असल जिंदगी भी ट्रेजडी से भरी रही है। सुंदर भोला सा चेहरा जिसके दीवाने लोग आज भी है, इस मासूम सी लड़की ने अपनी 38 साल की जिंदगी में ही हर गम को जी लिया था। आज मीना कुमारी (Meena Kumari) की 90th बर्थ एनिवर्सरी है। 4 साल की उम्र से ही बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम शुरु करने वाली मीना कुमारी की लाइफ को उनकी मुंह बोली बहन नरगिस दत्त ने बहुत करीब से देखा है। यही वजह रही की जब मीना कुमारी (Meena Kumari) की मौत हुई तो नरगिस ने उन्हें “मौत मुबारक कहा”।
मीना कुमारी जब पैदा हुई तो उनके पिता उन्हें अनाथआश्रम में छोड़ आएं, क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए था। जब पत्नी ने जिद की तो वापस उन्हें अनाथआश्रम से लाया गया, पर मीना को कभी पिता का प्यार नहीं मिला। उनके पिता अली बख्श एक थिएटर आर्टिस्ट थे, वे मीना को भी अपने साथ थिएटर ले जाने लगे। एक दिन डायरेक्टर विजय भट्ट ने उन्हें अपनी फिल्म लेदरफेस (1939) में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कास्ट कर लिया। जिसके लिए मीना को 25 रुपए फीस मिली। इसके बाद उन्होंने घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
पिता की पाबंदियों के बीच मीना बड़ी होने लगी, 13 साल की उम्र उन्हें लीड रोल की फिल्म मिल गई। फिल्म के रिलीज होने के 18 महिने बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया, पर मीना को ग़म मनाने की भी इजाज़त नहीं थी। उन्हें काम पर लौटना पड़ा। 1952 में कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को फिल्म अनारकली के लिए साइन किया था। इस फिल्म के एक सीन में मीना बड़े हादसे का शिकार हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। यहीं से शुरु हुआ कमाल अमरोही और मीना कुमारी का प्यार। पिता को ये प्यार मंजूर ना था, कई पाबंदियों के बाद भी दोनों ने छुपकर शादी कर ली।
शादी के बाद मीना कुमारी पर पति कमाल अमरोही की पाबंदियां शुरु हो गई। पति अमरोही ने शर्त रखीं की किसी और डायरेक्टर की फिल्में नहीं करना है, 6 बजे तक घर पहुंचना है और मेकअप रूम में कोई मर्द नहीं आना चाहिए। मीना ने हामी भर दी, पर जिंदगी कुछ और चाह रही थी। मीना के जीवन में पति का प्यार काम और उनका शक ज्यादा रहा। कमाल अमरोही मीना कुमारी के साथ मारपीटाई भी करते रहे। ये सब नरगिस ने भी एक दिन सुना, पर वे चुप रहीं। इन सब के साथ पति ने मीना पर नज़र रखने के लिए अपने असिस्टेंट बकर अली को भी लगा दिया। एक दिन मीना कुमारी के मेकअप रुप में गुलज़ार पहुंच गए, जिस पर असिस्टेंट ने मीना को थप्पड़ मार दिया। अब पानी सिर से ऊपर जा चुका था, मीना ने तुरंत पति का घर छोड़ दिया और अपनी बहन के साथ रहने लगीं।
मीना कुमारी का तलाक हो गया और वे डिप्रेशन में चली गईं, उन्हें नींद न आने की बीमारी हो गयी। जब डॉक्टर के पास गईं तो डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी की रोजाना सोने से पहले एक ढक्कन ब्रांडी पिएं। मीना ने एक ढक्कन की जगह इसे आदत ही बना लिया। उन्हें शराब की लत लग गई। 1968 में मीना कुमारी को लिवर सिरोसिस की बीमारी का पता चला। जून 1968 में वे इलाज के लिए लंदन और स्विट्डरलैंड गईं। वे वापस भारत आयीं पर अब उनके पास ज्यादा दिन नहीं थे।
पति कमाल अमरोही से तलाक के पहले मीना कुमारी ने साल 1956 में ये वादा किया था कि उनकी ड्रीम फिल्म “पाकीजा” में वही हीरोइन बनेंगी। बीमारी और तलाक के बावजूद मीना ने वो वादा निभाया और पाकीजा की शूटिंग पूरी की। शूटिंग के दौरान कई बार उनकी तबीयत बहुत बिगड़ी, फिर भी फिल्म पूरी हुई पर इसकी सफलता देखने के लिए मीना कुमारी जिंदा ना रहीं। पाकीजा फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई। अभिनेत्री नरगिस मीना कुमारी को अपनी छोटी बहन मानती थीं, उन्होंने मीना की मौत पर एक चिट्ठी लिखकर बधाई दीं, जिसकी खास वजह थी उनकी जिंदगी की तकलीफें। मीना कुमारी ने अपनी मौत से पहले अपनी कब्र पर लिखने के लिए दो लाइन कही थीं ये लाइन थी “राह देखा करेंगे सदियों तक, हम चले जाएंगे जहां तन्हा”।
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