हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचन्द (Munshi Premchand) का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। हिन्दी साहित्य को हर दिन नया रूप, एक नई पहचान देने वाले साहित्यकार और लेखक मुंशी प्रेमचंद(Munshi Premchand) को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं। हिंदी साहित्य को आधुनिक रूप देने में मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने अपनी हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने पूरे हिंदी साहित्य का मार्गदर्शन किया। हिंदी से साथ-साथ मुंशी प्रेमचंद ने उर्दू में भी कहानियां और उपन्यास लिखें हैं। तो चलिए जानते है हिंदी साहित्य के इस महान योद्धा के जीवन और उनके साहित्य की सबसे अच्छी कहानियों के बारे में।
मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) का जीवन परिचय
जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही में जन्मे मुंशी प्रेमचंद का, वास्तविक नाम धनपत राय था। धनपत को बचपन से ही कहानी सुनने का बड़ा शौक था। इसी शौक ने उन्हें महान कहानीकार व उपन्यासकार बना दिया। प्रेमचंद की शिक्षा का प्रारंभ एक स्थानीय मदरसे में उर्दू से हुआ। जहां उन्होंने उर्दू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त किया। मेट्रिक करने के बाद वे कुछ समय तक स्कूल में अध्यापक रहे।
नौकरी के साथ हिंदी, फ़ारसी, उर्दू, अंग्रेजी और दर्शन से इंटर किया। B A करने के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में सब-इंस्पेक्टर डिप्टी पद पर नियुक्त किया गया। असहयोग आंदोलन से सहानभूति के कारण 1921 में उन्होंने अंग्रजी सरकार की नौकरी छोड़ दी और आजीवन साहित्य सेवा करते रहें। अक्टूबर 1936 में लम्बी बीमारी कारण उनका देहावसान हो गया।
हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) का योगदान
हिंदी साहित्य में अगर बात की जाये मुंशी प्रेमचंद के योगदान की तो उनकी कहानियां हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं। समाज-सुधार और राष्ट्रीयता के मुद्दों को उनकी कहानी और उपन्यासों में साफ़ देखा जा सकता है, फिर चाहे बात “पंच परमेश्वर” की हो या “दो बैलों की कथा “या फिर “नमक का दरोगा”।
उन्होंने अपने जीवन में लगभग 350 कहानियाँ और 11 उपन्यास लिखे हैं । प्रेमचंद की कहानियाँ ‘मानसरोवर’ के नाम से आठ भागों में संकलित हैं। उनके सबसे ज्यादा प्रसिद्ध उपन्यास सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि , निर्मला, गबन, कर्मभूमि और गोदान हैं। इन 350 कहानियों और 11 उपन्यास के अलावा मुंशी प्रेमचंद ने ‘क्बला’ और ‘प्रेम की वेदी’ नामक उनके दो नाटक भी लिखे हैं।
मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ रचनाएं
उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया है। वे अपनी कहानियों से मानव-स्वभाव की आधारभूत महत्ता पर बल देते हैं। वैसे तो उन्होंने लगभग 350 कहानियाँ और 11 उपन्यास लिखे हैं और उनकी सभी रचनायें अपने आप सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन “गोदान” उनकी कालजयी रचना है।