Friday, September 20, 2024
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प्रेगनेंसी में हो रही चिड़चिड़ाहट की इन वजहों को समझें

प्रेगनेंसी के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक है मूड स्विंग्‍स, जो कि आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को परेशान करता है। शारीरिक लक्षणों से तो फिर भी निपटा जा सकता है, लेकिन बार-बार मूड बदलना ज्‍यादा परेशान कर देता है। अगर आपको गर्भावस्‍था में बार बार मूड बदलने की शिकायत हो रही है तो पहले इसका कारण जान लें और फिर इससे निपटने के तरीकों पर गौर फरमाएं।

प्रेगनेंसी में मूड स्विंग्‍स होने के कारण

गर्भावस्‍था में मूड स्विंग्‍स होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि हार्मोंनल बदलाव, नींद की कमी, एंग्‍जायटी और थकान।

  • हार्मोनल बदलाव

प्रेगनेंसी की शुरुआत में एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन के बढ़ने की वजह से ऐसा होता है। एस्‍ट्रोजन मस्तिष्‍क के उस हिस्‍से में एक्टिव होता है जो मूड को नियंत्रित करता है। यह हार्मोन चिंता, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन से संबंध रखता है। वहीं, प्रोजेस्‍टेरोन दुखी और थका हुआ महसूस करवाता है।

  • थकान और नींद की कमी       

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही और आखिरी तीन महीनों में नींद की कमी के कारण चिड़चिड़ापन हो सकता है। पहले तीन महीनों में आप कितना भी सो लें, थकान जाती नहीं है। इसी तरह गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में भी नींद आने में दिक्‍कत होती है।

  • मॉर्निंग सिकनेस

यह शारीरिक के साथ मानसिक लक्षणों पर भी गहरा असर डाल सकती है। मॉर्निंग सिकनेस की वजह से बार-बार उल्‍टी करने के लिए काम छोड़कर टॉयलेट जाने का असर मूड पर पड़ता है।

  • शारीरिक बदलाव

गर्भावस्‍था में शरीर के अंदर इतने बदलाव आते हैं कि आप परेशान हो जाती हैं। दर्द और बढ़ता हुआ वजन मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करता है जिससे मूड पर भी असर पड़ता है।

  • एंग्‍जायटी

मां बनने और बच्‍चे की परवरिश को लेकर एंग्‍जायटी हो जाती है। लेबर पेन (प्रसव पीड़ा) की वजह से भी चिंता हो सकती है। भविष्‍य की चिंताओं का असर आपके मूड पर भी पड़ता है।

प्रेगनेंसी में कब होती है मूड स्विंग्‍स की शुरुआत

आमतौर पर महिलाओं को प्रेगनेंसी की पहली तिमाही और आखिरी तीन महीनों में मूड स्विंग्‍स की परेशानी होती है। गर्भावस्‍था के पहले सप्‍ताह में ही मूड स्विंग्‍स की शुरुआत हो जाती है।

मूड स्विंग्स से छुटकारा दिलाएंगे ये उपाय-

  • डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज

प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स से बचने के लिए, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद लें। शांत जगह पर बैठ जाएं। गहरी सांस लें, 5 सेकेंड्स के लिए रुकें, फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ दें। इस तरह 10 से 15 बार गहरी सांस लें। मूड स्विंग होने पर, डॉक्टर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने की सलाह ही देते हैं। डिलीवरी के बाद, मूड स्विंग्स के लक्षण नजर आने पर वॉक कर सकती हैं। दिनभर में 10 से 15 मिनट की वॉक फायदेमंद होगी।

  • डाइट में शामिल करें फाइबर

प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग की समस्या से बचने के लिए, अपनी डाइट में फाइबर को शामिल करें ताजे फल और सब्जियों में फाइबर पाया जाता है। फाइबर का सेवन करने से तनाव कम होता है। साथ ही शरीर को ऊर्जा मिलती है। वहीं डिलीवरी के बाद, मूड स्विंग्स की समस्या होने पर, अपनी डाइट में आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स और मिनरल्स आदि को शामिल करें।

  • 7 से 8 घंटे की नींद लें

मूड स्विंग से बचने के लिए नींद पूरी लें। गर्भवती महिलाओं को एक दिन में 7 से 8 घंटे की नींद जरूर पूरी करनी चाहिए। जो महिलाएं, प्रेग्नेंसी में नींद नहीं पूरी करतीं, उनका मूड पल-पल बदलता रहता है। नींद पूरी होंगी, तो शरीर में ऊर्जा होगी, आप पॉजिटिव रहेंगी और तनाव महसूस नहीं होगा।

  • प्रेग्नेंसी में पानी पीती रहें

बार-बार मूड खराब हो जाता है, तो इसका एक कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। शरीर में पानी की कमी के कारण, गुस्सा आता है, चिड़चिड़ापन होने लगता है। शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए दिनभर में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी का सेवन करें। पानी के अलावा नींबू पानी, फलों का रस, सब्जियों के जूस का सेवन भी कर सकती हैं।

  • हरियाली के बीच समय बिताएंकोशिश करें की शाम के वक्त घास में नंगे पांव टहलें। बगीचे और हरियाली के बीच रहने से मूड बेहतर होता है। प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स होते हैं, तो अपने आस-पास के माहौल को पॉजिटिव रखें। नेगेटिव ऊर्जा के बीच रहने के कारण भी महिलाओं को मूड स्विंग्स की समस्या होती है।
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