वर्ल्ड एथेलेटिक्स डे : महिला एथलीट्स जिन्होंने बढ़ाया भारत का मान

विश्व एथलेटिक्स दिवस हर साल 7 मई को अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक महासंघ (आईएएएफ) द्वारा मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य खेल और व्यायाम के जरिए लोगों को बीमारियों से बचने और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करना है। विश्व एथलेटिक्स दिवस लोगों को स्वस्थ रहने के लिए फिटनेस व्यायाम, विशेष रूप से एथलेटिक्स करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस दिन, IAAF लोगों को खेल और व्यायाम में शामिल करने के लिए कई प्रतियोगिताओं और टूर्नामेंटों का आयोजन करता है। 17 जुलाई, 1912 को स्टॉकहोम, स्वीडन में IAAF की स्थापना की गई थी। इस संगठन का विचार लोगों को खेलों में भाग लेने को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करना था। विश्व एथलेटिक्स दिवस की शुरुआत 1996 में IAAF संगठन ने एथलेटिक्स और खेलों को समर्पित एक वार्षिक दिवस मनाने की घोषणा की थी।

तो चलिए जानते है उन भारतीय महिलाएं के बारे में जिन्होंने अपनी मेहनत से सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में अपनी पहचान बनाई और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत को सम्मान दिलाया।

मैरी कॉम

मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम जिन्हें मैरी कॉम के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। वे मणिपुर, भारत की मूल निवासी हैं। मैरी कॉम 8 बार ‍विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं।2012 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीता।2010 के ऐशियाई खेलों में काँस्य तथा 2014 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। दो वर्ष के अध्ययन प्रोत्साहन अवकाश के बाद उन्होंने वापसी करके लगातार चौथी बार विश्व गैर-व्यावसायिक बॉक्सिंग में स्वर्ण जीता। उनकी इस उपलब्धि से प्रभावित होकर AIBA ने उन्हें मॅग्नीफ़िसेन्ट मैरी (प्रतापी मैरी) का संबोधन दिया। उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी जिसमे में उनकी भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई। मैरी कॉम ने साल 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती।अब तक वह 10 राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है। बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया एवं वर्ष 2006 में उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 29 जुलाई 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुनीं गयीं। 2018 को उन्होंने 6 विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास बनाया।

सानिया मिर्ज़ा

टेनिस की दुनिया में सानिया मिर्ज़ा किसी परिचय मोहताज़ नहीं है। सानिया भारत की नंबर एक टेनिस खिलाड़ी हैं। 2003 से 2013 में लगातार एक दशक तक उन्होने महिला टेनिस संघ के एकल और डबल में शीर्ष भारतीय टेनिस खिलाड़ी के रूप में अपना स्थान बनाए रखा। मात्र 18 वर्ष की आयु में वैश्विक स्तर पर चर्चित होने वाली इस खिलाड़ी को 2006 में ‘पद्मश्री’ सम्मान प्रदान किया गया। वे यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है। उन्हें 2006 में अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच WTA का ‘मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड’ प्रदान किया गया था।सानिया ने अपने कॅरियर की शुरुआत साल 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर की थी। इसके बाद उन्होंने कई अंतररार्ष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया और सफलता भी पाई। 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद सानिया मिर्ज़ा ने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। साल 2004 में टेनिस में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2005 के अंत में उनकी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 42 हो चुकी थी जो किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा थी। 2006 में दोहा में हुए एशियाई खेलों में उन्होंने लिएंडर पेस के साथ मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के एकल मुक़ाबले में दोहा एशियाई खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता। 2009 में वह भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं। विबंलडन का यह खिताब जीत कर उन्होंने इतिहास रच डाला। वे आस्ट्रेलियन ओपन में हंगरी की पेत्रा मैंडुला को हराने के साथ ही किसी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के तीसरे राउंड में पहुँचने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं।

पी वी सिंधु

पुसर्ला वेंकट सिंधु एक विश्व वरीयता प्राप्त भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा भारत की ओर से ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक व कांस्य पदक जीतने वाली वे पहली खिलाड़ी हैं। इससे पहले वे भारत की नैशनल चैम्पियन भी रह चुकी हैं।सिंधु ने नवंबर 2016 में चीन ऑपन का खिताब अपने नाम किया है। ओलिंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधु ने BWF वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में शानदार जीत दर्ज कर पहली बार इस खिताब को अपने नाम किया है। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय शटलर हैं। सिंधु ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित किये गए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनीं। वे ओलिंपिक में लगातार 2 मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी है। ओवरऑल सुशील कुमार के बाद वे भारत की दूसरी एथलीट हैं।पी वी सिंधु ने रियो ओलिंपिक 2016 और टोक्यो ओलंपिक 2020 मेडल जीता था।

साइना नेहवाल

साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। साइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हिसार, हरियाणा के एक जाट परिवार में हुआ था। वह एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली अकेली महिला खिलाड़ी हैं। लंदन ओलंपिक 2012 मे साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया।बैडमिंटन मे ऐसा करने वाली वे भारत की पहली खिलाड़ी हैं। 2008 में बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों मे भी वे क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी। वह BWF विश्व जूनियर प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय हैं। वर्तमान में वह शीर्ष महिला भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। साइना भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। उन्‍होंने 2006 में एशि‍याई सैटलाइट प्रतियोगिता भी जीती है। साइना नेहवाल 2009 में इंडोनेशिया ओपन जीतते हुए सुपर सीरीज़ बैडमिंटन प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम किया, यह उपलब्धि उनसे पहले किसी अन्य भारतीय महिला को हासिल नहीं हुई थी। दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। अप्रैल 2015 में आधिकारिक रूप से उनकी विश्व रैंकिंग में पहला स्जन प्रदान की गई। इस मुकाम तक पहुँचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

पी टी उषा

भारतीय एथलीट पी टी उषा का जन्म केरल के कोज़िकोड जिले के पय्योली ग्राम में हुआ था। भारतीय ट्रैक और फ़ील्ड की रानी मानी जानी वाली पी टी उषा भारतीय खेलकूद में 1979 से हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं। उन्हें “पय्योली एक्स्प्रेस” के नाम से भी जाना जाता है।

1980 के मास्को ओलम्पिक में उनकी शुरुआत कुछ खास नहीं रही। 1982 के नई दिल्ली एशियाड में उन्हें 100 मीटर व 200 मीटर में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता। 1983 से 1989 के बीच में उषा ने एटीऍफ़ खेलों में 13 स्वर्ण जीते। 1984 के लॉस ऍंजेलेस ओलम्पिक की 400 मीटर बाधा दौड़ के सेमी फ़ाइनल में वे प्रथम थीं, पर फ़ाइनल में पीछे रह गईं। 400 मीटर बाधा दौड़ का सेमी फ़ाइनल जीत के वे किसी भी ओलम्पिक प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँचने वाली पहली महिला और पाँचवी भारतीय बनीं।

1986 में सियोल में हुए 10वें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पी टी उषा ने 4 स्वर्ण व 1 रजत पदक जीता। उन्होंने जितनी भी दौड़ों में भाग लिया, उन सभी में नए एशियाई रिकॉर्ड बनाये। १९८४ के में जकार्ता में हुई एशियाई दौड-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 6 स्वर्ण पदक जीतना भी एक कीर्तिमान है। उषा ने अब तक 101 अतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। 1985 में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया।

कर्णम मल्लेश्वरी

कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म 1 जून,1975 को श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उन्होने अपने करियर की शुरुआत जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप से की, जहां उन्होंने नंबर एक पायदान पर कब्जा किया। 1992 के एशियन चैंपियनशिप में मल्लेश्वरी ने 3 रजत पदक जीते।वैसे तो उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 3 कांस्य पदक पर कब्जा किया है, किन्तु उनकी को सबसे बड़ी कामयाबी 2000 के सिडनी ओलंपिक में मिली, जहां उन्होने कांस्य पर कब्जा किया और इसी पदक के साथ वे ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी। कर्णम मल्लेश्वरी को खेलों में उनके योगदान के लिए पद्मश्री, राजीव गांधीन खेलरत्न पुरुस्कार व अर्जुन अवार्ड भी मिल चूका है।

दीपा कर्माकर

दीपा कर्माकर का जन्म 9 अगस्त 1993 को त्रिपुरा के अगरतला में हुआ था। यह एक कलात्मक जिम्नास्ट हैं। दीपा के पिता भारत के सबसे अच्छे वेट लिफ्टर कोच में से एक है। दीपा ने मात्र 6 साल की उम्र से ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।दीपा करमाकर ने रियो ओलंपिक में जिमनास्टिक्स के फाइनल में जगह बनाई थी। वह ऐसा कर पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। साल 1964 के बाद वो पहली भारतीय हैं, जिन्होंने जिम्नास्टिक्स के फाइनल में जगह बनाई है। दीपा आर्टिस्टिक जिमनास्टिक स्पर्धा में छठवें स्थान पर रहीं। दीपा को जिमनास्टिक में अद्वितीय प्रदर्शन के लिए प्रति‍ष्ठित अर्जुन पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका है।