इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति की धर्मपत्नी सुधा मूर्ति को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। सुधा मूर्ति एक भारतीय लेखिका, शिक्षिका और इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। जिस इंफोसिस की चर्चा आज पूरी दुनिया में होती है उसके निर्माण में इनकी अहम भूमिका रही है। सुधा मूर्ति सादा जीवन उच्च विचार रखने वाली महिला हैं, इनके नाम कई सारे बड़े रिकॉर्ड दर्ज हैं। इनके परोपकारी कार्यो की चर्चा हर तरफ होती रहती है। मल्टीनेशनल कंपनी से जुड़े रहने और ब्रिटेन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सास होते हुए भी वे बहुत साधारण स्वाभाव रखती हैं। उनके यही विचार और आचरण उनके बच्चों में भी नजर आते हैं, जिसकी जीती जागती मिसाल हैं उनकी बेटी अक्षता सुनक। जो ब्रिटेन की फर्स्ट लेडी भी हैं। जानते हैं आज इन दोनों अद्भुत लेडी के बारे में…
पद्मभूषण सुधा मूर्ति वेब स्टोरी
नारायण मूर्ति की सबसे बड़ी ताकत हैं सुधा मूर्ति
पद्म भूषण सुधा मूर्ति अपने परोपकारी कार्य के लिए जानी जाती हैं। इनका पूरा जीवन दूसरों के लिए बेहतर कार्य करने में गुजरता है। खुद नारायण मूर्ति ने इस बात का जिक्र एक चर्चा में की थी की पत्नी सुधा मूर्ति से 10,000 रुपए लेकर उन्होंने इंफोसिस की नींव रखी थी। नारायण मूर्ति कहते हैं उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी पत्नी हैं।
बेहद साधारण महिला
सुधा मूर्ति का सादगी भरा जीवन हर व्यक्ति को प्रेरणा से भर देता है। वे कभी मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाते नजर आती हैं, तो कभी साधारण अध्यापिका की तरह जरुरतमंद बच्चों को पढ़ाती नजर आती हैं। तो कभी बच्चों की मां के साथ गुरु का धर्म भी निभाती नजर आती हैं।
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बच्चों की मां और गुरु
एक बार उन्होंने अपने बेटे को कहा की तुम 50 हजार रुपए अपने बर्थडे पर खर्च करने की जगह साधारण पार्टी करो और बचे हुए पैसे अपने ड्रायवर के बच्चों की पढ़ाई के लिए दे दो। इस पर पहले तो उनके बेटे ने मना कर दिया,पर फिर वे तैयार हो गए। सुधा मूर्ति मानती हैं की बच्चों को पैसा, दया प्यार और आशा बांटने का विचार सिखाना बहुत जरुरी है, इससे वे सभी को एक समान समझते हैं। उनके सीखाए संस्कार उनके बच्चों में पूरी तरह वैसे ही आएं हैं जैसे उनमें हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में किए कई बेहतर कार्य
सुधा मूर्ति ने कर्नाटक के सभी स्कूलों में बच्चों की शिक्षा के लिए कई बेहतर काम किए हैं। उन्होंने कंप्यूटर और पुस्तकालय की सुविधा शुरु करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया और कंप्यूटर विज्ञान पढ़ाना शुरु किया। 1995 में उन्हें बैंगलोर में “बेस्ट टीचर अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया है।
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गोल्ड मेडलिस्ट सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिगगांव में हुआ। बचपन से ही उन्हें पढ़ाई में बहुत रुचि रही, उनके परिवार ने उस दौर में भी उनका प्रोत्साहन बढ़ाया। सुधा मूर्ति ने हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई की जिसमें उन्हें स्वर्ण पदक मिला। इसके बाद उन्हें बैंगलोर से कंप्यूटर विज्ञान में एमई में टॉप करने के लिए तत्कालीन कर्नाटक के मुख्यमंत्री से स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।
सुधा मूर्ति शिक्षा और समाज सुधार कार्यों में योगदान देने के लिए जानी जाती हैं। अपने इंफोसिस फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, गरीबी उन्मूलन आदि के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद की है। 2006 में उन्हें भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिला। सुधा मूर्ति की लिखी गई प्रचलित किताबों में हैं “द मदर आई नेवर नो”, “थ्री थाउजेंड स्टिचेज”, “द मैन फ्रॉम द एग एंड मैजिक ऑफ द लॉस्ट टेंपल शामिल हैं।
Sudha Murty receives the Padma Bhushan from President Draupadi Murmu pic.twitter.com/tKw0RB9r9B
— ANI (@ANI) April 5, 2023
सुधा मूर्ति को शुक्रवार को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। इस दौरान उनका पूरा परिवार राष्ट्रपति भवन में मौजूद हुआ। जहां उनकी बेटी अक्षता सुनक भी उपस्थित हुई, जो परिवार के साथ पीछे की कतार में बैठी नजर आयी। अक्षता सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी होने के बाद भी इतने सरल तरीके से पीछे की कतार में बैठी रही। उनकी ये सादगी उनकी माता की दी अच्छी परवरिश को बयां करती है। मौजूदा वरिष्ठजनों को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने ब्रिटेन की फर्स्ट लेडी को आगे बैठने का आग्राह किया।
अक्षता सुनक ने बाद में अपने इंस्टाग्राम के जरिए मां की इस उपलब्धि को पोस्ट भी किया। जिस पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी अपनी प्रतिक्रिया बयां की। मूर्ति और सुनक परिवार का यह सरल और साधारण अंदाज हर किसी के लिए आश्चर्य और मिसाल है। आज हर तरफ इस मां बेटी की चर्चा हो रही है, जो हैं तो अब दो अलग-अलग देश की नागरिक पर संस्कार इनमें भारतीय हैं।