हिन्दी फिल्मों में यदि कोई पुरुष फाइट नहीं करता है तो उसे चूड़ियां पहनने की हिदायत दी जाती है, और ये डॉयलॉग एक पुरुष को बहुत चुभता भी है। पर क्या आप जानते हैं, एक जगह ऐसी है जहां पुरुष खुद महिला का रुप धारण करते हैं, और वो भी खुशी से। जी हां, हमारे भारत में एक जैसी जगह है जहां पुरुष महिलाओं की तरह चूड़ियां पहनते हैं, बिंदी लगाते हैं, सुंदर साड़ी ब्लाउज के साथ लिपस्टिक और पूरा मेकअप करते हैं। इस बात की कल्पना करना ही आश्चर्य जैसा लगता है, की एक पुरुष आखिर क्यों महिला का रुप धारण करेगा? वो भी अपनी इच्छा से। तो बताते हैं आपको कहां है ये जगह और क्या है इसकी कहानी..
भारत के केरल राज्य में हर साल एक त्यौहार मनाया जाता है, जिसमें पुरुष महिला का रुप धारण करते हैं। जो कि श्री देवी मंदिर का कोट्टंकुलंगारा चमयाविलक्कू नाम का त्यौहार है। कई सालों से चली आ रही इस प्रथा को आज भी पुरुष निभाते हैं। वे महिलाओं की तरह सुंदर तैयार होते हैं, और देवी मंदिर में दीया जलाते हैं।
सालों से चली आ रही मान्यता
कोट्टंकुलंगारा श्री देवी मंदिर की बहुत मान्यता है, ऐसा माना जाता है यदि कोई पुरुष यहां बहुत सुंदर रुप धारण कर आता है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। हर साल मार्च माह में ये त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में पुरुष उपस्थित होते हैं। इस मंदिर की मान्यता इतनी अधिक है की कोई भेदभाव नहीं करता, बड़े-बड़े पद पर विराजमान पुरुष सुंदर रुप धरकर,सजधज के यहां आते हैं।
क्या है इस मंदिर की कहानी
इस मंदिर की कहानी भी बहुत रोचक है। ऐसा माना जाता है एक बार एक ग्वालों का समूह लड़कियों के वेश में एक पत्थर के चारों ओर परिक्रमा लगा रहा था। कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा, ग्वालों का समूह उस पत्थर को भगवान मानने लगा। एक दिन उस पत्थर से देवी प्रकट हो गई, जिसे देखकर सभी लड़कियां बने पुरुष ग्वालें खुश हो गए। देवी ने उन ग्वालों की आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। तब से केरल में इस जगह पर मंदिर स्थापित है, और पुरुष अपनी मनोकामना की पूरी के लिए महिला बनकर यहां आते हैं। पुरुषों का झूंड मंदिर की परिक्रमा लगाता हैं और दीपदान करते हैं।
Here is a video that's getting viral from this unique tradition pic.twitter.com/3qKHA7ggzk
— Arvind (@tweet_arvi) March 27, 2023
कब आयोजित होता है फैस्टिवल
मार्च माह में आयोजित होने वाले इस त्यौहार में हर साल आने वाले पुरुषों की संख्या बढ़ती जा रहा है। पुरुष अपने परिवार के साथ यहां आते हैं। मंदिर के बाहर कई ऐसे पार्लर मिल जाते हैं जो पुरुषों को तैयार करते हैं, उन्हें वस्त्र और आभूषण भी दिए जाते हैं। 19 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में पुरुष अंतिम 2 दिन में महिलाओं की तरह तैयार होकर प्रवेश करते हैं। वे मंदिर में 5 मुखी दीपक लेकर प्रवेश करते हैं, मान्यताओं के अनुसार जो जितना खूबसूरत लगेगा, माता उतना ही प्रसन्न होगी। मनोकामना लिए पुरुषों के लिए मंदिर में प्रवेश करने का शुभ समय 2 बजे से 5 बजे के बीच रहता है।
सुंदर परिधान में जब पुरुष महिलाओं की तरह तैयार होते हैं, तो वे उस दौरान सब कुछ भूल जाते हैं। उनमें स्त्री पुरुष का भेदभाव भी नहीं रहता। वे महिला की तरह ही कोमल ह्दय लिए माता के द्वार पर खड़े किसी भक्तन की तरह प्रतित होते हैं। कहने के लिए तो एक एक मान्यता है, पर ये मंदिर स्त्री और पुरुष को एक बराबर दर्शाता है, जो मनुष्य जीवन का सत्य है। इस उत्सव में कई सारे ट्रांसजेंडर भी उपस्थित होते हैं। इस उत्सव को देखने देश-विदेश से लोग भी उपस्थित होते हैं।
Recent Comments