Friday, September 20, 2024
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जानिए क्या है हिन्दू नववर्ष का “आध्यात्मिक” और “वैज्ञानिक” कारण

हिन्दू नववर्ष के आगमन के साथ नवरात्र प्रारंभ होते है। नया बही खाता तैयार होता है। घरों की साफ-सफाई कर मुख्य द्वार को सजाया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए मुख्य द्वार पर ध्वज लगाया जाता है, जिसे ब्रम्हध्वज भी माना जाता है। नौ दिनों तक मां की आराधना का विशेष महत्व होता है, जीवन जीने के लिए मनुष्य को शक्ति की जरुरत होती है, और मां दुर्गा शक्ति का रुप है। जानते हैं चैत्र नवरात्रि से जुड़े आध्यत्मिक और वैज्ञानिक कारणों को..

विक्रम संवत क्यों कहते हैं इसे

फाल्गुन मास समाप्त होते ही साल का पहला माह चैत्र प्रारंभ होता है। जिसे विक्रम संवत या नव संवत्सर भी कहा जाता है। इस बार विक्रम संवत का 2080 वर्ष प्रारंभ हो रहा है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी शकों को पराजित कर एक नए युग को निर्माण किया था। इसी के चलते राजा विक्रमादित्य के काल में खगोलविदों ने पहले से चले आ रहे प्राचीन ऋषि संवत और युधिष्ठिर संवत को ध्यान में रखते हुए विक्रमी संवत के रुप में प्रारंभ किया गया।

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क्यों की जाती है मां की आराधना

राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्याधिक बढ़ गया था, तब सभी देवताओं ने आदिशक्ति जगदंबा का आह्वान किया। देवताओं की पुकार पर मां ने अपने अंश से 9 रुपों को प्रकट किया। इन 9 रुपों को देवताओं ने अपने-अपने शस्त्र देकर महिषासुर का वध करने का निवेदन किया। शस्त्र धारण करके माता शक्ति संपन्न हो गई। 9 दिनों के युद्ध के बाद महिषासुर का वध हुआ। यहीं से एक नई सृष्टी का जन्म हुआ, मां दुर्गा के आदेश पर ब्रम्हा जी ने इसका निर्माण किया। तभी से चैत्र नवरात्र पर मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है।

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वैज्ञानिक कारण

21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है। उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इसी दिन धरती का प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है। जिसका हम सूर्योदय के साथ स्वागत करते हैं।

शुभ मुहूर्त

नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की आराधना की जाती है। इसके साथ ही कलश की स्थापना की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसकी खास वजह है एक ही राशि में पांच-पांच ग्रहों की युति हो रही है। जिससे महायोग बन रहे हैं। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 39 मिनट तक है। इस वर्ष नौ दुर्गा पर गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शश योग, धर्मात्मा योग, राज लक्षण योग बन रहे हैं।

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