RRR फिल्म की प्रसिद्धी हर तरफ छायी है। नाटू-नाटू सॉग को ऑस्कर मिलने के बाद देश क्या पूरी दुनिया में इसकी बातें हो रही है। 3 घंटे की फिल्म, जिसमें कोई प्यार मोहब्बत नहीं सिर्फ देशभक्ति और मिट्टी की खुशबु हो, ऐसी फिल्म से लोगों को जोड़े रखने का काम बहुत मुश्किल होता है, पर इसे मुमकिन कर दिखाया एसएस राजामौली ने। इस शानदार फिल्म के साउथ डॉयलाग को लिखा है साई माधव बुर्रा ने और उन्हें हिन्दी रुप दिया है, रिया मुखर्जी ने। जो इन दिनों खास चर्चा में हैं..
रिया मुखर्जी हिन्दी RRR फिल्म की गीतकार और संवाद लेखिका है। नाटू-नाटू को ऑस्कर मिलने के बाद से इस फिल्म से जुड़े सभी लोगों की चर्चा एक बार फिर हो रही है। कई सारी भाषाओं में रिलीज हुई ये फिल्म हर बोली में पसंद की गई है। एक लेखक का काम होता है कि वो डॉयलाग में पूरी भावनाओं को दिखा सकें। ये काम हिन्दी के लिए रिया मुखर्जी ने बहुत ही खूब किया है। यहीं वजह है की फैंस इस फिल्म से पूरी तरह से जुड़ पाएं।
रिया मुखर्जी का जन्म 9 जनवरी 1975 को दिल्ली में हुआ। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और स्नातक दिल्ली से पूरा किया। रिया मुखर्जी वैसे तो रेडियों की दुनिया से जुड़ी हुई हैं। वे रिया मुखर्जी वर्ल्ड पिक्चर्स की फाउंडर भी है। इसके साथ वे एक सफल लेखिका, ऑडियो कंटेंट क्रिएटर भी हैं। वे रेडियो मिर्ची एफएम में भी काम कर चुकी हैं। करीब 20 से 22 साल उन्होने एफएम की दुनिया में काम किया। इसके बाद साल 2014 में अपनी सालों पुरानी नौकरी छोड़ कुछ नया शुरु करने के इरादे से लिखने का काम शुरु किया। इसी चाह से उन्होंने एक शॉर्ट फिल्म लिखने का काम शुरु किया। उन दिनों उनकी मुलाकात एमएम कीरावानी से हुई। जो उन दिनों RRR के गानों में बिजी थे। जब फिल्म के हिंदी गानों की बारी आयी तो रिया मुखर्जी से बात की गई। उनका काम धीरे-धीरे डायरेक्टर एसएस राजामौली को अच्छा लगने लगा। इसलिए गाने के बाद उन्हें डॉयलाग लिखने का भी प्रस्ताव मिला, जिसे रिया ने स्वीकार किया। इस तरह रिया जुड़ गई इस शानदार फिल्म RRR के साथ। रिया के अनुसार पूरी फिल्म लिखने में करीब 2 साल का समय लग गया, बीच में कोविड महामारी के चलते देरी भी हुई।
आज जब नाटू-नाटू को ओरिजनल सॉग के लिए ऑस्कर मिला तो रिया ने इस बारें में बताया की नाटू-नाटू एक शैली है। जो साउथ में बहुत प्रसिद्ध है, जिसके लिए उन्होंने हिन्दी शब्द नाचो-नाचो सिलेक्ट किया। सॉग लिखने के दौरान राजामौली जी ने कहा की उन्हें गाने में किसी प्रकार की कोई खुबसूरत चीज का वर्णन नहीं करना है, कुछ नया और डिफरेंट होना चाहिए। तो उनकी सोच को ध्यान में रखकर रिया ने अपने शानदार शब्द संजोने शुरु कर दिए। जैसे “बैल जैसे धूल उड़ा के, सींग उठाके तुम भी नाचो”। पूरा गाना अन्य भाषाओं का तरह हिंदी में भी बहुत सुंदर शब्दों से सजाया गया है, कल्पना से अलग सोच से तैयार किए है इसके बोल।
आने वाले प्रोजेक्ट में रिया फिलहाल अपनी रिया वर्ल्ड पिक्चर्स कंपनी के जरिए ऑडियो की दुनिया में अच्छे संवाद तैयार करना चाहती हैं। वैसे ये भी आश्चर्य की बात है कि हिंदी के साथ रिया का रिश्ता कुछ खास नहीं रहा, बंगाली परिवार से होने की वजह से हिन्दी बोलने में सही नहीं आती थी। पर एक समय ऐसा आया की हिन्दी भाषा से उन्हें बहुत लगाव हो गया, आवाज के क्षेत्र में ये अपने हिंदी शब्दों से जादू चलाने लगीं, लोगों को उनका काम शुरुआती दिनों में ही बहुत पसंद आने लगा।
RRR फिल्म के हिंदी डॉयलाग लिखने के बाद रिया मुखर्जी की जिंदगी बहुत ज्यादा बदल गई है। आज जिस फिल्म के ऑरिजनल सॉग को ऑस्कर अवार्ड मिला, उसे हिंदी भाषा में इन्होंने ही लिखा। रिया इसे अपना सौभाग्य मानती हैं, आने वाले दिनों में वे और भी बेहतर प्रोजेक्ट के साथ काम करना चाहती हैं।