Friday, September 20, 2024
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भगवान शिव-पार्वती से क्या संबंध है रंगभरी ग्यारस का?

हिंदू धर्म में ग्यारस का खास महत्व है, साल में हर माह 2 ग्यारस तो आती ही है, पर होली के पहले आने वाली रंगभरी ग्यारस का खास महत्व है। अन्य ग्यारस में विष्णु भगवान और लक्ष्मी की पूजा की जाती है, पर इस रंगभरी ग्यारस में भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। जिसके पीछे एक खास कहानी  है। काशी में इस ग्यारस के दिन से ही होली का त्यौहार शुरु हो जाता है। तो जानते है आखिर क्यों इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, और क्या महत्व है इसका..

27 फरवरी से होलाष्टक शुरु हो चुके हैं, होली से 8 दिन पहले ये शुरु होते हैं जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके बाद आती है रंगभरी एकादशी उसके बाद आती है होली। इस ग्यारस को लेकर सभी के मन में एक सवाल आता है कि आखिर भगवान शिव का इससे क्या कनेक्शन है। क्योंकि इस दिन मंदिरो में खास पूजा होती है शिव की, उनका जल अभिषेक किया जाता है और खासकर गुलाल से श्रृंगार किया जाता है।

भगवान शिव माता को लेकर आए थे इस दिन

रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव, माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लेकर आए थे। इस अवसर में भोलेनाथ के गणों ने रंग-गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थी। तब से हर वर्ष रंगभरी एकादशी को काशी में बाबा विश्वनाथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं और माता गौरा का गौना कराया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ मां पार्वती के साथ नगर भ्रमण करते हैं और पूरा नगर लाल गुलाल से सरोबार हो जाता है।

इस बार रंगभरी एकादशी 2 मार्च को सुब 6:39 बजे शुरु हो रही है और 3 मार्च को सुबह 9:11 बजे समाप्त हो जाएगी। हिंदू धर्म में अधिकांश व्रत उदया तिथि में मान्य होते हैं। ऐसे में पंचांग के अनुसार रंगभरी ग्यारस का व्रत 3 मार्च को रखना शुभ रहेगा।

किस प्रकार करें पूजा

सुबह स्नानादि के बाद भगवान शिव जी और माता गौरी की मूर्ति को पटले पर स्थापित करें। पुष्प, गंध, अक्षत, धूप, अबीर, गुलाल, चंदन और बेलपत्र आदि से उनका पूजन करें। माता गौरी को श्रृंगार साम्रगी आर्पित करें। शिव-पार्वती को रंग और गुलाल अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और कपूर से आरती करें। शिव-पार्वती और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, चालीसा पाठ करें। रंगभरी एकादशी का पाठ करें और कथा सुनें। उपवास रखकर एक बार फलाहार ग्रहण करें। इस व्रत का खास प्रभाव देखा जाता है।

ग्यारस पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, पर रंगभरी ग्यारस में भगवान विष्णु और शिव-पार्वती तीनों की पूजा होती है। इसलिए इस ग्यारस का खास महत्व होता है। माता गौरी की आराधना से सुहान की उम्र बढ़ती है, जीवन में खुशहाली आती है। विष्णु जी की पूजा से हर समस्या का समाधान होता है, और शिव को अबीर-गुलाल चढ़ाने से आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

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