भारत की सबसे तेज धावक पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा जिन्हें हम सभी पीटी उषा के नाम से जानते हैं। इनके जीवन पर यदि पलटकर नजर डालें तो ये हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। 1984 में आयोजित लॉस एंजिल्स खेलों में अपनी शानदार दौड़ से सभी का दिल जीत लिया था। भारत देश के लिए ये वो अनमोल रत्न के समान है, जो देश की शान हैं। इन्हें गोल्डन गर्ल्स के नाम से भी जाना जाता है। अपने करियर में 100 से अधिक लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल करते हैं, कई सारे राष्ट्रीय पदक बनाते हैं और एशियाई एशियाई लोगों में से सबसे शानदार लोग हैं। इन्हें उड़नपरी के नाम से भी जाना जाता है, ये एक बार फिर चर्चा में हैं, जिसकी खास वजह राज्यसभा सांसद और आईएमए अध्यक्ष पीटी ऊषा का बजट सत्र के दौरान राज्य सभा की अध्यक्षता करना है।
उड़न परी कही जाने वाली पीटी उषा ने राज्यसभा में सभापति तथा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता की। ऐसा पहली बार हुआ की कोई मनोनीत सदस्य इस पद पर विराजमान हुआ हो। पी.टी. उषा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसका एक क्लिप भी पोस्ट किया। कभी दौड़ के ट्रैक पर अपना शानदार प्रदर्शन दिखाने वाली महिला आज इस पद पर विराजमान हुई। वे आज हर महिला के जीवन को प्ररेणा दे रही हैं। अपनी बंदिशों से दूर निकल कर अपने हुनर को बयां कर रही हैं।
सोशल मीडिया पर पोस्ट किया संदेश
अपने सोशल मीडिया अकाउंड पर पीटी उषा ने लिखा की फ्रैंकलिन डी. रुजवेल्ट ने कहा “जब अधिकार ज्यादा होते हैं, तो जिम्मेदारी भी बड़ी होती है”..इसे मैंने महसूस किया, जब मैंने राज्यसभा सत्र की अध्यक्षता की। लोगों के इस निहित विश्वास और आस्था के साथ यह सफर करते हुए मैं उम्मीद करती हूं, इससे मील का पत्थर बना सकूंगी।
कैसा रहा उड़न परी का करियर
पीटी उषा ने बहुत कम उम्र में ही अपने करियर की शुरुआत कर दी थी। समर गेम्स 1980 मोस्को ओलंपिक में डेब्यू कर भारतीय खेल का प्रदर्शन किया था। उस समय पीटी उषा मात्र 16 साल की थी। उसके बाद साल 1982 में एशियन गेम्स में उन्होंने व्यक्तिगत इवेंट में दो सिल्वर मेडल भी अपने नाम किए। इसके बाद लॉस एंजिल्स में साल 1984 में पीटी उषा ने ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया जिसके लिए आज भी उन्हें जाना जाता है। इस रेस में वे जीती नहीं पर वे मेडल जीतन से केवल 0.01 सेकंड से चूकी थी।
कई पदक और सम्मान की विजेता
1985 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप जकार्ता में उषा ने 4 गोल्ड मेडल जीते। ऐसे ही कई सारे मेडल की झड़ी लगती रही। पीटी उषा के नाम पर कई सारे मेडल देश में आते रहे, ये देश का गौरव कही जाने लगीं। कुछ दौड़ में इंजरी की वजह से वे पीछे रहीं पर कभी हार नहीं मानी। इन्हें कई पुरस्कारों से से भी सम्मानित किया गया है। जिसमें 1993 में अर्जुन पुरस्कार, 1985 में पद्म श्री सम्मान, 1983 से 1994 तक सर्वश्रेष्ठ रेलवे खिलाड़ी के लिए मार्शल टीटो पुरस्कार। 30 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार खेल में बेहतर प्रदर्शन, केरल खेल पत्रकार इनाम साल 1999।
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