नवरात्रि के दूसरे दिन करें माता ब्रह्मचारिणी की आराधना . . . . तप, साधना और ज्ञान की देवी करेंगी भक्तों का कल्याण

नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह नौ रातों का पर्व माता दुर्गा की आराधना के लिए मनाया जाता है। हर दिन विशेष देवी की पूजा की जाती है। दूसरे दिन को “द्वितीया” कहा जाता है। इस दिन माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा होती है। माता दुर्गा के इस रूप का नाम “ब्रह्मचारिणी”(Brahmacharini Mata) है। नवरात्रि के इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

ब्रह्मचारिणी माता दुर्गा का द्वितीय रूपBrahmacharini mata

शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा में माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप “ब्रह्मचारिणी” (Brahmacharini Mata) की आराधना की जाती है। ये साधना और तपस्या की देवी मानी जाती हैं। इनका स्वरूप साध्वी, शांत, और तपस्विनी है। भक्तों की भक्ति इन्हें प्रसन्न करती है। इनकी पूजा से मानसिक शांति और शक्ति की प्राप्ति होती है।

ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Mata) देवी की कथा

माता ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप तप और साधना का प्रतीक है। इनकी कथा का आरंभ देवी के पूर्वजन्म से होता है। कहा जाता है कि जब देवी सती थीं, तब उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में चुना था। सती की मृत्यु के बाद, देवी ने ब्रह्मचारिणी के रूप में पुनर्जन्म लिया।Brahmacharini mataइस जन्म में माता ने कठोर तपस्या की। उनका तप इतना कठिन था कि वे केवल फल-फूल और जड़ी-बूटियों पर निर्भर रहीं। उनकी भक्ति और समर्पण ने भगवान शिव को प्रभावित किया।

भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और अंततः उन्हें दर्शन दिए। शिव ने माता को आश्वासन दिया कि वे जल्द ही उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे। ब्रह्मचारिणी का यह तप भक्तों को सिखाता है कि कठिनाईयों का सामना कर साधना से महानता प्राप्त की जा सकती है।

इस प्रकार, माता ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Mata) ने अपनी तपस्या से न केवल भगवान शिव को प्रसन्न किया, बल्कि सभी भक्तों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया। उनकी पूजा करने से भक्तों को मानसिक शक्ति और समर्पण की प्रेरणा मिलती है।

कैसे करें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा

दूसरे दिन की पूजा में भक्त विशेष ध्यान रखते हैं। प्रातःकाल स्नान कर पवित्रता का ध्यान रखें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और फूल, दीप, और नैवेद्य रखें। माता (Brahmacharini Mata) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और गुलाब का फूल अर्पित करें। विशेष तौर पर शहद और दही का भोग लगाना चाहिए। मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान और भक्ति से पूजा करें। “ॐ दुर्गायै नमः” का जप करें।Brahmacharini mataमां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान माता ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Mata) के बीज मंत्र का जाप करने से मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंत्र को 108 बार जाप करना चाहिए। मंत्र जाप करते समय यज्ञ में घी की आहुति देने से विशेष फल मिलता है।

मां ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।

नवरात्रि का दूसरा दिन विशेष रूप से माता दुर्गा की आराधना का दिन है। भक्तों को तपस्या और साधना का महत्व समझाते हुए देवी अपनी कृपा प्रदान करती हैं। इस दिन की पूजा से मानसिक बल और शक्ति की प्राप्ति होती है। भक्तों को देवी (Brahmacharini Mata) का आशीर्वाद मिले, यही कामना करें।