भारत में कितना है कैंसर का असर
देश में कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। 2023 में लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कैंसर के 14 लाख से अधिक मरीज हैं।
- जीवनशैली – धूम्रपान, शराब का सेवन, और अनियमित खान-पान जैसी जीवनशैली से कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
- पर्यावरणीय कारक – प्रदूषण और विषाक्त रसायनों के संपर्क में आने से भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- जीन संबंधी कारक – पारिवारिक इतिहास और आनुवांशिकता भी कैंसर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
क्या है कैंसर इम्यूनोथेरेपी ट्रीटमेंट
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके दो मुख्य रूप होते हैं: एक ट्यूमर और दूसरा केमिकल आधारित। ये दोनों ही हमारी बॉडी की इम्यूनिटी को कमजोर कर देते हैं। इम्यूनोथेरेपी इन इम्यूनिटी बढ़ाने वाली कोशिकाओं को पुनः मजबूत करने में सहायता करती है।
इम्यूनोथेरेपी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम का उपयोग करके कैंसर से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है।
कैंसर इम्यूनोथेरेपी (Cancer Immunotherapy Treatment)
- मोनीकलोनल एंटीबॉडीज – ये विशेष प्रोटीन होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाते हैं और उन्हें नष्ट करने में मदद करते हैं।
- टी-सेल थैरेपी – इस प्रक्रिया में, रोगी के टी-सेलों को निकाला जाता है, उन्हें कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रशिक्षित किया जाता है और फिर उन्हें शरीर में वापस डाल दिया जाता है।
- प्रतिरक्षा चेकपॉइंट इनहिबिटर्स – ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली के नियंत्रक प्रोटीनों को ब्लॉक करती हैं, जिससे टी-सेल्स को कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने की स्वतंत्रता मिलती है।
- वैकसीन – कैंसर के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने के लिए वैक्सीन का उपयोग किया जाता है।
कब पड़ती है कैंसर में इम्यूनोथेरेपी की आवश्यकता
- रोग प्रतिरोधी कैंसर में – जब कैंसर अन्य उपचारों, जैसे सर्जरी या कीमोथेरपी, के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है।
- मेटास्टेटिक कैंसर – जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है, तो इम्यूनोथेरेपी इसे रोकने या नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
- साइड इफेक्ट्स – कुछ रोगियों को पारंपरिक उपचारों के गंभीर साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ता है। इम्यूनोथेरेपी के कुछ प्रकार इन प्रभावों को कम कर सकते हैं।
- कैंसर की विशेषताएं – यदि कैंसर कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा पहचानने में सक्षम नहीं होती हैं, तो इम्यूनोथेरेपी उनकी पहचान करने और हमला करने में मदद कर सकती है।
- क्लिनिकल ट्रायल – नई इम्यूनोथेरेपी तकनीकों का परीक्षण करने के लिए रोगी क्लिनिकल ट्रायल में भाग ले सकते हैं।
सबसे अच्छी बात यह है कि इम्यूनोथेरेपी (Cancer Immunotherapy Treatment) से साइड इफेक्ट्स का जोखिम अभी तक कम देखा गया है। हालांकि, यह कैंसर और उसके स्टेज पर निर्भर करता है। वर्तमान में, यह विशेष रूप से स्टेज-4 कैंसर के उपचार में अधिक उपयोग की जा रही है। चिकित्सा विज्ञान इस क्षेत्र में निरंतर नए प्रयोग और शोध कर रहा है।
गौरतलब है कि देश में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, और बदलती जीवनशैली और खानपान इस समस्या के प्रमुख कारणों में से एक हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 5 वर्षों में कैंसर के मामलों में 12% तक की वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में, यदि इम्यूनोथेरेपी (Cancer Immunotherapy Treatment) सफल होती है और भारत में उपलब्ध होती है, तो कैंसर के मरीजों को काफी राहत मिल सकती है।