राधा अष्टमी (Radha Ashtami), हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान श्री कृष्ण की अटल भक्ति और प्रेम की प्रतीक राधा रानी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। राधा रानी, जो भगवान कृष्ण की परम प्रेमिका और भक्त हैं, उनके प्रति समर्पण और श्रद्धा की भावना को इस दिन विशेष महत्व दिया जाता है। यह दिन हमें राधा और कृष्ण के अमर प्रेम और भक्ति की प्रेरणा देता है।
भक्ति और प्रेम का दिव्य उत्सव :राधा अष्टमी
राधारानी (Radha Ashtami), हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आदरणीय पात्र हैं। वे भगवान श्री कृष्ण की परम प्रेमिका और भक्त मानी जाती हैं। उनके बारे में जानने से पहले, यह जानना जरूरी है कि राधा का अस्तित्व न केवल धार्मिक ग्रंथों में, बल्कि भक्ति साहित्य और लोककथाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
श्रीनाथ जी (भगवान् कृष्ण) और श्रीजी (राधारानी) के बीच का प्रेम केवल सांसारिक प्रेम नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। राधारानी का प्रेम भगवान कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति का प्रतिक है। एक ऐसा प्रेम जिसमे किशोरीजी ने अपने आप को पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में समर्पित कर दिया। उनका प्रेम शाश्वत और निर्विकार माना जाता है, जो हर भक्त को भक्ति के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
साथ ही राधा की भक्ति कृष्ण की दिव्यता को प्रकट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके प्रेम ने कृष्ण के व्यक्तित्व और लीलाओं को और भी गहराई से समझने में मदद की है। राधा की भक्ति और प्रेम ने भक्ति साहित्य और गीतों में विशेष स्थान प्राप्त किया है, जिसमें उनकी प्रेम कथा और भक्ति की महिमा का वर्णन किया गया है।