मधुमेह या डायबिटीज (Ayurveda), एक ऐसी चिकित्सा स्थिति है जिसमें रक्त में ग्लूकोज का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है।
यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है। लेकिन प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद इसके इलाज में अत्यधिक सहायक हो सकता है। आइए, जानें कैसे आयुर्वेद डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
क्या हैं आयुर्देव का मूलमंत्र: दृष्टिकोण और सिद्धांत
आयुर्वेद के अनुसार, एक स्वस्थ शरीर में किसी भी बीमारियों का आना आयुर्वेद दोषों के असंतुलन के कारण होता है। विशेष रूप से, वात, पित्त और कफ दोषों का असंतुलन इसके प्रमुख कारण होते हैं।
आयुर्वेद में बीमारियों के उपचार के लिए इन दोषों को संतुलित करने के उपाय सुझाए जाते हैं। जोकि डायबिटीज के मामले में भी लागू होते हैं।
आहार में बदलावसे करें डायबिटीज (Ayurveda)को कंट्रोल
आयुर्वेद के अनुसार, डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए आहार में बदलाव महत्वपूर्ण है। यहां कुछ प्रमुख आहार संबंधी सुझाव दिए गए हैं:
• अग्नि (पाचन शक्ति) को सुधारें:
आयुर्वेद के अनुसार, अच्छी पाचन शक्ति डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक होती है। अपनी पाचन शक्ति को बेहतर बनाने के लिए अदरक, हल्दी, और जीरा जैसे प्राकृतिक मसालों का सेवन करें। इन मसालों के नियमित उपयोग से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।
• फाइबर युक्त आहार:
आयुर्वेद में उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दलिया, साबुत अनाज, और हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाने की सलाह दी जाती है। ये खाद्य पदार्थ खून में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
• ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) पर ध्यान दें:
डायबिटीज के रोगियों को उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। ऐसे खाद्य पदार्थों में चीनी, सफेद ब्रेड और मिठाई शामिल हैं।
इसके बजाय, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज और फल चुनें।
ये आयुर्वेदिक (Ayurveda) औषधियाँ हैं उपयोगी
आयुर्वेद में कई औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ डायबिटीज के नियंत्रण में सहायक साबित हो सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख औषधियाँ हैं:
• गुलाबरी (जामुन):
जामुन का सेवन डायबिटीज के लिए लाभकारी होता है। इसके बीजों का पाउडर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है।
• आंवला:
आंवला, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि है। जो पाचन शक्ति को सुधारने और ब्लड शुगर लेवल को मैनटेंड करने में सहायक होती है। आंवला का रस या पाउडर प्रतिदिन सेवन करें।
• करेला:
करेले में बायोएक्टिव कंपाउंड्स होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। करेले का जूस या सब्जी के रूप में सेवन करें।
• त्रिफला:
त्रिफला, एक आयुर्वेदिक औषधि, पाचन और शुगर लेवल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होती है। इसे नियमित रूप से सेवन करें।
आयुर्वेदिक (Ayurveda-Diabetes) औषधियाँ के साथ जीवनशैली में सुधार भी करें
आयुर्वेद केवल आहार और औषधियों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि जीवनशैली में सुधार भी आवश्यक है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:
• नियमित व्यायाम:
आयुर्वेद में नियमित व्यायाम का महत्व है। योग, प्राणायाम, और दिनचर्या में हल्की-फुल्की गतिविधियों को शामिल करें। यह शारीरिक गतिविधि रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
• रूटीन:
एक नियमित दिनचर्या अपनाना महत्वपूर्ण है। हर दिन एक ही समय पर भोजन और नींद की आदतें बनाए रखें। इससे पाचन तंत्र और शरीर की कार्यप्रणाली सुधरती है।
• तनाव प्रबंधन:
तनाव भी डायबिटीज को प्रभावित कर सकता है। ध्यान, योग, और गहरी साँस लेने की तकनीकों का उपयोग करके मानसिक तनाव को कम करें।
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