कला में धनी भारत देश के हर राज्य में एक स्पेशल रंग देखने को मिलता है। इन्हीं में शामिल है मध्यप्रदेश राज्य, जिसे भारत का दिल कहा जाना है। यह राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और अद्वितीय हस्तकला के लिए जाना जाता है। यहां की साड़ियां न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा प्राप्त करती हैं। तो आज जानते हैं मध्यप्रदेश की प्रमुख साड़ियों (MP Famous Saree) को, उनकी विशेषताओं के साथ। इसके साथ ही जानते हैं इन साड़ियों से जुड़ी कुछ इंटरेस्टिंग बातें…
बारीक बुनाई और सुनहरी चमक की चंदेरी साड़ी
एमपी में चंदेरी, अशोकनगर जिला की ये साड़ियां (MP Famous Saree) बहुत ही खास है। इस साड़ी की विषेशता है इसकी बारीक बुनाई और सुनहरी जरी वर्क, जो विश्व प्रसिद्ध हैं। ये साड़ियां सिल्क, कॉटन, और सिल्क-कॉटन के मिश्रण से बनाई जाती हैं। इन पर पारंपरिक मोटिफ्स जैसे पेड़-पौधे, पशु, और ज्यामितीय डिज़ाइन होते हैं, जो इन्हें विशेष बनाते हैं। चंदेरी साड़ियों की खूबसूरती और राजसी लुक इन्हें विशेष अवसरों और त्योहारों में पहने जाने योग्य बनाते हैं।
इस साड़ियों से जुड़ा इतिहास मध्यकालीन भारत से जुड़ा है। जब इन्हें राजाओं और रानियों के दरबार में पहना जाता था। आज भी ये साड़ियां शाही विरासत की प्रतीक मानी जाती हैं।
हल्की और आरामदायक महेश्वरी साड़ी
मध्यप्रदेश के महेश्वर, खंडवा जिला की प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ियां (MP Famous Saree)। इनकी विशेषता है की ये हल्की और आरामदायक होती हैं। जिससे इन्हें दैनिक उपयोग और औपचारिक अवसरों दोनों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इनका प्रमुख आकर्षण उनका जरी बॉर्डर और पल्लू होता है। ये साड़ियां कॉटन और सिल्क के मिश्रण से बनाई जाती हैं और इनमें चेक्स, स्ट्राइप्स और प्लेड डिज़ाइन होते हैं।
महेश्वरी साड़ियों का इतिहास 18वीं सदी से है, जब रानी अहिल्या बाई होल्कर ने महेश्वर में इन साड़ियों का निर्माण शुरू करवाया था। यह साड़ी आज भी उन्हीं परंपराओं को संजोए हुए है।
प्राकृतिक रंगों की चमक में सजी कोसा साड़ी (MP Famous Saree)
कोसा सिल्क मध्यप्रदेश के बस्तर क्षेत्र से आता है। इसकी विशेषता है की कोसा सिल्क साड़ियों की बनावट बहुत ही मुलायम और चमकदार होती है। कोसा सिल्क अपने प्राकृतिक रंग और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है। ये साड़ियां विशेष रूप से त्योहारों, विवाह और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर पहनी जाती हैं।
कोसा सिल्क का उत्पादन और उपयोग सदियों से बस्तर क्षेत्र में होता आ रहा है। यह सिल्क आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वनस्पति रंगों का अनोखा मिश्रण बाघ प्रिंट साड़ियां
धार जिले की स्पेशल बाघ प्रिंट साड़ियां हाथ से प्रिंट की जाती हैं। इनमें वनस्पति रंगों का उपयोग किया जाता है। इनमें प्राकृतिक रंगों और जटिल डिज़ाइन का उपयोग होता है। ये साड़ियां गर्मियों में आरामदायक होती हैं और दैनिक उपयोग के लिए आदर्श होती हैं।
बाघ प्रिंट का इतिहास 7वीं सदी से जुड़ा है, जब यह कला मालवा क्षेत्र में विकसित हुई थी। यह प्रिंटिंग तकनीक पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।
आदिवासी कला का प्रतीक आलिराजपुरी साड़ी
भारत के दिल मध्यप्रदेश में स्थित है अलीराजपुर जिला। जहां प्रसिद्ध हैं आलिराजपुरी साड़ियां (MP Famous Saree)। जो पारंपरिक रूप से आदिवासी समुदायों द्वारा बनाई जाती हैं और इनमें चमकीले रंग और सरल डिज़ाइन होते हैं। इन साड़ियों में स्थानीय संस्कृतियों और परंपराओं का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है।
आलिराजपुरी साड़ियों का निर्माण आदिवासी हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा का हिस्सा है। यह साड़ी आदिवासी जीवन शैली और उनकी कला का प्रतिबिंब है।
मध्यप्रदेश की साड़ियां न केवल वस्त्र उद्योग में अपनी पहचान बना चुकी हैं, बल्कि वे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध बनाती हैं। इन साड़ियों की विशेषताएं और इतिहास हमें मध्यप्रदेश की विविधता और उसकी सांस्कृतिक विरासत के बारे में बहुत कुछ सिखाते हैं। ये साड़ियां आज के समय में हर महिला की अलमारी में मौजूद रहती हैं। चाहे बड़ी-बड़ी हस्तियां क्यों ना हो सभी को कांजीवरम और बनारसी साड़ियों की तरह मध्यप्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी या बाघ प्रिंट साड़ी पसंद आती हैं।