श्रावण मास (Sawan) क्या होता है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पांचवा माह होता है श्रावण मास। यह आमतौर पर जुलाई-अगस्त के बीच ही आता है। इस माह को भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है और इसमें शिव की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
सावन (sawan) सोमवार क्या होते है?
सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना गया है। जिससे अर्थ है श्रावण मास में आने वाले सोमवार। इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है। श्रावण के कुल चार से पांच सावन सोमवार होते हैं।
कैसे करें भगवान शिव की पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिव मंदिर जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें, संभव ना हो तो घर पर ही अपने मंदिर में विराजमान भोलेनाथ का जलाभिषेक करें।
पूजा सामग्री
पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, गाय का दूध, गंगाजल, शहद, दही, चंदन, चावल, मिठाई आदि का उपयोग करें। भगवान शिव के लिए भोग तैयार करें। भोलेनाथ को गाय का दूध, दही, शहद, पंचामृत अर्पित करें। फल में शिव को बेल का फल अत्यंत प्रिय है। इसके अलावा नारियल, अनार, सेब, अंगूर, बेर और खीरे भी चढ़ा सकते हैं।
व्रत
भोलेनाथ के ये व्रत अन्य व्रतों की तरह ही होते हैं। व्रतवासी अपनी शक्ति के अनुसार फलाहार या एक बार भोजन कर इन व्रतों को रख सकता है।
फलदायक मंत्र
भगवान शिव वैसे अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न हो जाते हैं। पर श्रावण के व्रत में पूजा के बाद “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप अवश्य करें और भगवान शिव को दही या खीरे का भोग लगाएं।
सावन सोमवार का महत्व
इन व्रत में ये ना करें
व्रत के दौरान अत्यधिक परिश्रम से बचें। अधिक समय तक धूप में न रहें और हाइड्रेटेड रहें। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह लें और व्रत रखने से पहले उनसे परामर्श करें। व्रत नहीं रख सकते तो परेशान ना हों। श्रद्धा और भक्ति से शिव की पूजा बिना व्रत के भी की जा सकती है।
साल के इस माह में ये करें
1 – शिव पूजा प्रतिदिन करें। हर दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, गंगाजल, और बेलपत्र चढ़ाएं। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें। सोमवार के दिन विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा करें।
2 – इन दिनों दान पुण्य का भी विशेष महत्व है, तो गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें। अनाज, वस्त्र, और जल का दान करना शुभ होता है।
3 – सावन माह में सादा और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्याज, लहसुन, और मांसाहार से परहेज करें।
4 – सफाई और पवित्रता पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। घर और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें। स्वयं भी शुद्ध और पवित्र रहें। साफ-सुथरी जगह पर भगवान का वास होता है।
भूल कर भी ये ना करें
1 – तामसिक आहार से परहेज करें, मांस, मछली, अंडा, प्याज, और लहसुन का सेवन न करें। शराब और तम्बाकू का सेवन भी वर्जित है।
2 – बुरे विचार और गलत कर्म ना करें। किसी के प्रति बुरा न सोचें और न ही बुरा करें। क्रोध, ईर्ष्या, और घृणा जैसे नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
3 – केश और नाखून काटना श्रावण माह में शुभ नहीं माना जाता है।
4 – दूषित जल का उपयोग ना करें। पूजा के लिए और पीने के लिए हमेशा स्वच्छ और शुद्ध जल का ही उपयोग करें। गंदे और दूषित जल से शिवलिंग का अभिषेक न करें।
5 – शिवलिंग पर तुलसी ना चढ़ाएं। तुलसी के पत्ते भगवान शिव को अर्पित नहीं किए जाते। इसके बजाय, बेलपत्र, धतूरा, और आक के फूल चढ़ाएं।
6 – रोजमर्रा के कार्यों में अति उत्साह ना दिखाएं। सावन में किसी भी कार्य में अधिक उत्साह न दिखाएं और संयमित रहें। अत्यधिक श्रम और परिश्रम से बचें।
सावन का माह भगवान शिव की आराधना और भक्ति के लिए अति उत्तम माना जाता है। इन बातों का ध्यान रखते हुए श्रद्धा और समर्पण से पूजा करने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।