रूस के दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिका और यूरोप की बढ़ी बेचैनी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi Russia Visit) दो दिन के रूस दौरे पर हैं। तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी का ये पहला रूस दौरा और पहला द्विपक्षीय विदेशी दौरा भी है। पीएम मोदी का ये रूस दौरा कई मायनों में अहम है। एक तरफ़ जहां पिछले कुछ समय में चीन और रूस की नज़दीकियां बड़ी हैं। वहीं दूसरी तरफ़ रूस विरोधी माने जाने वाले गुट नेटो की बैठक के वक़्त पीएम मोदी (PM Modi Russia Visit) रूस का दौरा कर रहे हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि रूस-भारत के बीच होने वाली सालाना बैठक आमतौर पर साल के अंत में होती है। ऐसे में इस दौरे के वक़्त को लेकर अंतरराष्ट्रीय मामलों के कई जानकार सवाल उठा रहे हैं।

क्या है मोदी-पुतिन (PM Modi Russia Visit) की मुलाक़ात का एजेंडा?

PM Modi Russia Visit

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुसी राष्ट्रपति पुतिन की इस मुलाक़ात के दौरान दोनों ही देश मैत्रीपूर्ण रूसी-भारतीय संबंधों के विकास की संभावनाओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडे के प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। मोदी की रूस यात्रा से कई पश्चिमी देश असहज हैं। उनके मन में ऐसी आशंका है कि इस मुलाक़ात के और क्या मायने हो सकते हैं?

क्या मोदी की यात्रा से नाराज़ हो सकता है अमेरिका?

एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में अप्लाइड इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर स्टीव एच. हैंके का मानना है कि रूस के भारत के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दोनों के बयानों को देखते हुए यह साफ़ है कि भारत सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है, ख़ास तौर पर रूस के साथ। क्योंकि रूस एक ऐसा देश है, जिसके साथ भारत के संबंध सोवियत काल से ही अच्छे रहे हैं। आपको बता दें कि हैंके अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति रोनाल्ड विल्सन रीगन की आर्थिक सलाहकार परिषद में भी रह चुके हैं। हैंके के इस बयान को ऐसे भी देखा जा सकता है कि पीएम मोदी (PM Modi Russia Visit) की इस यात्रा से अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर कोई खास नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रधानमंत्री  मोदी  के रूस दौरा से युरोप में हलचल

पिछले दिनों हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने  मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात की। उनकी इस मुलाक़ात पर यूरोप की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई थी। ऐसे समय जब यूरोपीय देश गंभीरता से यूक्रेन को सैन्य और दूसरी सहायता देने में लगे हुए हैं, किसी भी यूरोपीय नेता के रूस दौरे को विश्ववासघात के तौर पर देखा जा सकता है। लेकिन इन सब के बीच एक सवाल यह भी है कि पश्चिमी देशों की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर कैसी और क्या प्रतिक्रिया है?

हालंकि अभी तक पश्चिमी देशों के नेताओं ने मोदी की इस यात्रा के बारे में खुलकर कोई भी टिप्पणी नहीं की है। लेकिन ज़ाहिर तौर पर यूरोप और अमेरिका दोनों ही मोदी और पुतिन को एक साथ देखकर खु़श नहीं होंगे। क्योंकि पुतिन को लेकर दोनों का ही यह मानना है कि वही यूक्रेन में हमले से पैदा हुए यूरोपीय उथल-पुथल के ज़िम्मेदार हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर यह कहा जा रहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बुलावे पर 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले तीन सालों के दौरान दोनों ही देशों के बीच कोई भी द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई है।

क्या कहता है यूरोप का इंटेलेक्टुअल समुदाय ?

लंदन के किंग्स कॉलेज में दक्षिण एशियाई अध्ययन के जाने-माने स्कॉलर प्रोफ़ेसर क्रिस्टोफ जैफरलॉट का कहना है कि मोदी की रूस यात्रा के भू-राजनीतिक आयाम हैं। उन्होंने कहा, “भारत रूस के साथ अपने संबंधों को विकसित करने के लिए बहुत उत्सुक है, न केवल सैन्य उपकरणों के मामले में रूस पर निर्भरता के कारण, बल्कि इसलिए भी कि भारत एक बहुध्रुवीय विश्व को बढ़ावा देना चाहता है। जहां भारत सभी भागीदारों के साथ अपने हितों को बढ़ावा देने की स्थिति में हो। ”

मोदी की यह यात्रा रूस की चीन के साथ बढ़ती निकटता से भी जुड़ी हुई है। जानकारों का ऐसा भी मानना है कि भारत और रूस के बीच ख़ास संबंध बनाए जाने से रूस और चीन के बीच मेल-मिलाप को कम किया जा सकता है।