Thursday, September 19, 2024
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योगिनी एकादशी विशेष : श्री हरी के आशीर्वाद से रुके हुए काम होंगे पूरे

आज योगिनी एकादशी है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण एकादशी व्रत है, जिसे हर वर्ष आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह व्रत (Yogini Ekadashi)  पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अलकापुरी के राजा कुबेर के यहां एक माली काम करता था। जिसका नाम हेममाली था, वह प्रतिदिन राजा को शिव पूजा के लिए पुष्प लाकर देता था। माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था, जो अति सुंदर थी। एक बार हेममाली ने पूजा के लिए पुष्प नहीं लाएं। क्योंकि वह अपनी सुंदर पत्नी के साथ कामासक्त होने की वजह से हास्य-विनोद कर रहा था।

राजा कुबेर ने अपने सेवकों से माली के ना आने का कारण पूछा। राजा को जब कारण ज्ञात हुआ तो उन्होनें हेममाली को श्राप दे दिया। हेममाली कोढ़ी हो गया और वर्षों तक पीड़ा में रहा। श्राप से पीड़ित हेममाली ने महर्षि मार्कंडेय की सलाह पर योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत किया और उसकी सारी पीड़ा दूर हो गई।

व्रत विधि

Yogini Ekadashi

  1. व्रत की तैयारी: व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए और मानसिक रूप से व्रत की तैयारी करनी चाहिए।
  2. प्रातःकाल: एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजन विधि: भगवान विष्णु की पूजा करते समय फल, फूल, तुलसीदल और पंचामृत अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान से अपने पापों की क्षमा याचना करें।
  4. भोजन: इस दिन व्रती को उपवास रखना चाहिए। अगर पूरे दिन निर्जल व्रत नहीं रख सकते तो फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं।
  5. रात्रि जागरण: योगिनी एकादशी के दिन रात को जागरण करना भी शुभ माना जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और ध्यान करें।
  6. द्वादशी तिथि: अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर स्वयं पारण करें।

योगिनी एकादशी का फल

इस योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत का पालन करने से व्यक्ति को धन, धान्य, संतान सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी रोग और दोष भी समाप्त हो जाते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, वह सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है।

निष्कर्ष

योगिनी एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि आपने अभी तक योगिनी एकादशी का व्रत नहीं किया है, तो इस वर्ष इसे अवश्य करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।

इन नियमों का रखें विशेष ध्यान 

योगिनी एकादशी व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी का व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें। योगिनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है।
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