1 जुलाई 2024 से नए आपराधिक कानूनों (New Criminal Laws) के लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली फाइलों के बोझ से मुक्त हो जाएगी। 1 जुलाई से नया कानून (Bharatiya Nyaya Sanhita) लागू होने के साथ ही FIR, सेक्शन, डिजिटल, फॉरेंसिक जांच के तौर तरीके सभी बदल जाएंगे। पुलिस, फॉरेंसिक, अभियोजन, कोर्ट और जेल पूरी तरह से ऑनलाइन जुड़ जाएंगे और किसी एक जगह की गई इंट्री सभी जगहों पर तत्काल उपलब्ध हो जाएगी। नए कानून के तहत फॉरेंसिक या मेडिकल रिपोर्ट पुलिस जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश नहीं करना पड़ेगा, बल्कि यह ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म पर स्वत: कोर्ट को मिल जाएगा। इसी तरह से कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर जेल के अधिकारी के पास जाने की जरूरत भी खत्म हो जाएगी।
BNS कानून क्या है?
भारतीय न्याय संहिता (BNS) (Bharatiya Nyaya Sanhita)आज से लागू होने जा रही है। जो नई आधिकारिक आपराधिक संहिता है। ब्रिटिश भारत के समय से चली आ रही भारतीय दंड संहिता (IPC) को हटा कर BNS को दिसंबर 2023 में पेश किया गया था। जो 1 जुलाई 2024 से लागू होनी थी। बीएनएस में 20 अध्यायों में कुल 358 धाराएं हैं जबकि आईपीसी में 23 + 3 अध्यायों में 511 धाराएं थीं।
पहला बदलाव
ब्रिटिश काल में सन् 1860 में अंग्रेजों की ओर से अपनी सुविधानुसार IPC(भारतीय दंड संहिता) लागू की गई थी। जिसमें बदलाव करके BNS (भारतीय न्याय संहिता) का नाम दिया गया है। इसके तहत IPC की 511 धाराओं की जगह अब BNS में कुल 358 ही धाराएं होंगी।
दूसरा बदलाव
इसी तरह दंड प्रक्रिया (Bharatiya Nyaya Sanhita) संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लागू की गई है। जिसमें 531 की जगह 484 धाराएं रखी गई हैं।
तीसरा बदलाव
जबकि तीसरा बदलाव भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 से बदलकर किया गया है।
क्या-क्या है नए कानून में
नये कानून में आतंकवाद, संगठित अपराध को भी धाराओं के रूप में शामिल किया गया है। क्राइम सीन की वीडियोग्राफी, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफी को साक्ष्य माना जाएगा। नए कानून के साथ ही डिजिटल एविडेंस पर ज्यादा जोर है। इसमें एप की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
महिलाओं से जुड़ी 45 धाराएं होंगी BNS में
नई व्यवस्था (Bharatiya Nyaya Sanhita) में 45 धाराएं महिलाओं से जुड़ी हुई जोड़ी गई हैं। भारतीय दंड सहिता यानि BNS में 33 धाराओं में दंड बढ़ाया गया है, जबिक 83 धाराओं में जुर्माना बढ़ाया गया है। इसी तरह 23 धाराओं में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। नये कानून में 18 वर्ष से कम आयु के लड़के-लड़कियां चाइल्ड की श्रेणी में आएंगी। इसी तरह विवेचना, रिपोर्ट, जांच की समय सीमा भी तय कर दी गयी है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से रिटायर्ड अधिकारी-कर्मचारी अपने साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं। 30 जून की रात 12 बजे से नई व्यवस्था के तहत मुकदमा दर्ज किए जाएंगे।
कुछ प्रमुख धाराओं में ऐसे हो रहा बदलाव
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