आज करीब 48 साल बाद होगा लोकसभा स्पीकर का चुनाव

आज करीब 48 साल बाद लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) के लिए चुनाव होने जा रहा है। मंगलवार को संसद में स्पीकर पद के लेकर कई चर्चा चली। सरकार और विपक्ष के बीच असहमति बनी रही। इसी के चलते चुनाव का निर्णय लिया गया। जिसमें बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने फिर से सांसद ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्ष ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया है। चुनाव आज दोपहर 11 बजे होगा।

ओम बिरला और के. सुरेश के बीच सीधा मुकाबला 

Lok Sabha Speaker

18वीं लोकसभा के पहले सत्र से ही स्पीकर को लेकर पक्ष और विपक्ष में असहमति बनती रही। जिसके बाद अंतत: चुनाव (Lok Sabha Speaker) का निर्णय ले ही लिया गया। आज 26 जून 2024 को लोकसभा के सभी सदस्य स्पीकर के लिए वोट देंगे। अध्यक्ष पद को लेकर NDA और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच आम सहमति नहीं बनने के बाद दोनों गठबंधनों ने अलग-अलग उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। राजस्थान के कोटा से तीन बार के सांसद ओम बिरला और केरल के मवेलीकारा से 8 बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश के बीच आज सीधा मुकाबला होने जा रहा है।

 किस तरह होता है स्पीकर (Lok Sabha Speaker) का चुनाव 

लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव संसद भवन के अंदर ही होता है। लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) का चयन सिर्फ बहुमत के आधार पर किया जाता है। कुल सदस्यों की संख्या में जिसको ज्यादा वोट मिलते हैं उसी को स्पीकर की कुर्सी मिल जाती है। ऐसी तरह डिप्टी स्पीकर के लिए वोटिंग होती है , ज्यादा वोट मिलने वाले उम्मीदवार को डिप्टी स्पीकर का पद मिलता है।

इससे पहले कब-कब हुआ था स्पीकर का चुनाव? 

– वर्ष 1952 में कांग्रेस सदस्य जी वी मावलंकर को लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) के रूप में चुना गया था। मावलंकर को प्रतिद्वंद्वी शांताराम मोरे के खिलाफ 394 वोट मिले, जबकि मोरे सिर्फ 55 वोट हासिल करने में सफल रहे।

– वर्ष 1967 में टी. विश्वनाथम ने कांग्रेस उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था।रेड्डी को विश्वनाथम के 207 के मुकाबले 278 वोट मिले और वह अध्यक्ष चुने गए।

– इसके बाद पांचवीं लोकसभा में 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद पांचवें सत्र की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई थी। तत्कालीन अध्यक्ष जीएस ढिल्लों ने एक दिसंबर, 1975 को इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस नेता बलिराम भगत को पांच जनवरी, 1976 को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था।