25 जून, 1975 की सुबह राष्ट्र के नाम अपने संदेश में उस समय पीएम रहीं इंदिरा गांधी ने कहा कि “देश में जिस तरह का माहौल (सेना, पुलिस और अधिकारियों के भड़काना) एक व्यक्ति अर्थात जयप्रकाश नारायण के द्वारा बनाया गया है, उसमें यह जरुरी हो गया है कि देश में आपातकाल (Emergency) लगाया (National Emergency in India) जाए। ताकि देश की एकता और अखंडता की रक्षा की जा सके”। इंदिरा गांधी के इस संदेश के साथ ही पूरे देश में उथल- पुथल मच गई।
क्या है संविधान के अनुसार आपातकाल
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 में राष्ट्रीय आपातकाल (Emergency) का प्रावधान है। जिसके अनुसार राष्ट्रीय आपातकाल उस स्थिति में लगाया जाता है, जब पूरे देश को या इसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण अथवा सशक्त विद्रोह के कारण खतरा उत्पन्न हो जाता है। भारत में पहली आपातकाल इंदिरा गांधी की सरकार ने 25 जून 1975 को घोषित की जो 21 महीनों तक चली थी। इस आपातकाल के बारे में यही कहा जाता है की अनुच्छेद के अनुसार इसे लगाएं जाने का कोई ठोस कारण नहीं था।
आपातकाल क्यों काला दिन ? क्या हुआ भारत की जनता के साथ
-आपातकाल (Emergency) की घोषणा के कुछ घंटे के भीतर की प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों में बिजली की आपूर्ति काट दी गई। -जयप्रकाश नारायण, राज नारायण, मोरारजी देसाई, चरण सिंह, जार्ज फर्नांडिस सहित कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
– पूरा देश कैदखाना बन गया, बिना वज़ह लोगों की गिरफ्तार किया जाने लगा।
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 का उपयोग करते हुए इंदिरा गांधी ने खुद को असाधारण शक्तियां प्रदान कीं।
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जमात-ए-इस्लामी सहित 26 संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
– 60 लाख से ज्यादा लोगों की नसबंदी कर दी गई।
– फिल्मी कलाकारों पर भी प्रतिबंध लगा, किशोर कुमार के गानों को रेडियो और दूरदर्शन पर बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
-देव आनंद को अनौपचारिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।
21 महीने बाद जब आपातकाल हटी तो देश ने खुलकर सांस ली।
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद सत्र के पहले दिन आपातकाल के बारे में क्या कहा-
सोमवार को संसद सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल (Emergency) का जिक्र करते हुए कहा- कल 25 जून हैं। जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा को समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है। भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, भारत को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था।
इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी ये संकल्प करेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी और लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया गया था। हम संकल्प करेंगे जीवंत लोकतंत्र का, भारत के संविधान के अनुसार जन सामान्य के सपनों को पूरा करने का।