केदारनाथ बाबा के कपाट खुलते के साथ आज से शुरु हुई चार धाम यात्रा

आज अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आज केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट खोल दिए गए हैं। जिससे साथ ही चारों धाम की यात्राओं का शुभारंभ हो गया है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के श्री कपाट खोले जाते हैं। अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर भगवान शिव के केदारनाथ मंदिर की बहुत सुंदर सजावट की गई।

भक्तों ने किया भोले बाबा का भव्य स्वागत

Kedarnath Dham

चारों धाम की यात्राएं शुरु होने के साथ सभी मंदिरों को आज बहुत ही भव्य रुप से सजाया गया है। भक्तों की लंबी कतार मंदिरों के बाहर देखी जा सकती है। आज सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट खुलते के साथ ही देश-विदेश से आएं भक्तों ने भगवान शिव के दर्शन किए। भक्तों की लंबी कतारों को देखकर यही अनुमान लगाया जा रहा है इस वर्ष भक्तों का आंकड़ा रिकॉर्ड तोड़ने वाला है।

सुबह की पहली आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब 

Kedarnath Dham

केदारनाथ कपाट (Kedarnath Dham) खुलने के समारोह में उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी मौजूद रहे।  मंदिर के पुजारियों ने भगवान शिव का स्वागत मंत्र उच्चारण के साथ किया। इसके बाद सुबह की पहली आरती की गई। उत्तराखंड सीएम ने यात्रा के मंगलमय होने की कामना की। आज 4050 श्रद्धालुओं को लेकर 135 वाहन ऋषिकेश से चारधामों के लिए रवाना हुए। वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष चारधामों के दर्शन के लिए रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।

गंगोत्री के कपाट दोपहर बाद 12 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे। उनके अनुसार चारधाम के नाम से प्रसिद्ध धामों में शामिल एक अन्य धाम बदरीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह छह बजे खुलेंगे। अब तक चार धाम यात्रा के लिए रजिस्टर करने वाली की संख्या अब तक 22,28,928 पहुंच चुकी है।

छह माह तक चलेगी केदारनाथ सहित चार धाम की यात्रा 

Kedarnath Dham

केदारनाथ सहित चारधामों की यात्रा हर साल गर्मियों में शुरू होती है। जिसका श्रद्धालुओं को बहुत बेसब्री से इंतजार रहता है। ये यात्रा छह माह तक चलती है,जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। ये यात्रा स्थानीय जनता के लिए रोजगार और आजीविका का साधन होती हैं। चारधाम यात्रा को गढवाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है। सर्दी बढ़ने के साथ ही अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए कपाट फिर बंद कर दिए जाते हैं।