हमीदा बानू (Hamida Banu) ने भारतीय महिला कुश्ती के इतिहास में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन और व्यक्तित्व के माध्यम से देश को गर्वित किया है। 1940 और 1950 के दशक में, जब कुश्ती पुरुषों का खेल था, उन्होंने उस समय की सामाजिक सीमाओं को तोड़कर अपने दम पर नाम कमाया। उन्होंने पुरुष कुश्ती चैंपियनों को हराकर कुश्ती में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। हमीदा के शानदार प्रदर्शन और उनके असाधारण व्यक्तित्व ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। लेकिन फिर वे स्टेज से गायब हो गईं। उनकी उपलब्धियों के बावजूद अक्सर उनकी कहानी अनदेखी और भूले जाने का शिकार रही है।
मुझे एक मुकाबले में हरा दो और मैं तुमसे शादी कर लूंगी
“मुझे एक मुकाबले में हरा दो और मैं तुमसे शादी कर लूंगी।” यह बहुत ही अजीब और अनोखा चैलेंज था। हमीदा बानू (Hamida Banu) ने इस चुनौती को लिया था फरवरी 1954 में। जब उनकी आयु लगभग 30 वर्ष की थी। उन्होंने पुरुष कुश्ती खिलाड़ियों को इस चुनौती का सामना करने के लिए आमंत्रित किया, जैसा कि उस समय की ख़बरों में बताया गया। इस ऐलान के बाद, हमीदा बानू ने दो पुरुष कुश्ती चैंपियनों को हराया – एक पंजाब के पटियाला से और एक पूर्वी पश्चिम बंगाल के कोलकाता को।
अलीगढ की अमेज़न नाम से थीं मशहूर (Hamida Banu)
1944 में, बॉम्बे क्रॉनिकल अखबार ने उन्हें “अलीगढ़ की अमेज़न” कहा, उनका नाम उस शहर के नाम पर रखा जहां हमीदा का परिवार रहता था। अखबार ने अपने एक कॉलम में लिखा कि बानू को देखकर ही बड़े-बड़े पहलवानों की हड्डियाँ कांप जाती थीं। बताया जाता है कि बानू पुरुष कुश्ती खिलाड़ी की तरह ही लड़ती थी। बानू (Hamida Banu) की प्रसिद्धि लोगों को दूर-दूर से आकर्षित करती थी।
पुरुष पहलवानों जैसी थी बानू की डाइट
हमीदा बानू (Hamida Banu) सिर्फ अपनी कुश्ती को लेकर ही नहीं बल्कि उनसे जुड़ी हर बात को लेकर सुर्खियों में रहती थीं। उनका वजन, लंबाई, आहार, वे 17 पाउंड (108 किलो) का वजन रखतीं थीं। उनकी लंबाई 5 फुट 3 इंच (1.6 मीटर) थी। उनके डेली मील में 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप, 1.8 लीटर फलों का रस, एक मुर्गा, लगभग 1 किलो मटन और बादाम, आधा किलो मक्खन, 6 अंडे, दो बड़े लोफ़ रोटी, और दो प्लेट बिरयानी शामिल था।